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Gorakhpur : गोरखपुर विश्वविद्यालय का 44वां दीक्षांत समारोह , राज्यपाल की अध्यक्षता में सम्पन्न

Gorakhpur : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का 44वाँ दीक्षांत समारोह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ, जिसमें 161 विद्यार्थियों को पदक और 301 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि दी गई।राज्यपाल ने छात्रों को नवाचार, शोध और अनुशासन पर बल देते हुए 75% उपस्थिति अनिवार्य करने तथा समाजहित में कार्य करने की प्रेरणा दी

By: Desk Team  RNI News Network
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Gorakhpur : गोरखपुर विश्वविद्यालय का 44वां दीक्षांत समारोह , राज्यपाल की अध्यक्षता में सम्पन्न

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर का 44वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल ने 161 विद्यार्थियों को पदक तथा 301 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि प्रदान की। साथ ही, उन्होंने 500 आंगनबाड़ी केंद्रों को आंगनबाड़ी किट भी प्रदान की।

राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में सभी पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि जिन छात्रों को पदक प्राप्त नहीं हुआ है, उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। कठिन परिश्रम और निरंतर प्रयास से जीवन में आगे बढ़ने के अवसर सदैव उपलब्ध रहते हैं। सभी विद्यार्थी सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें दीक्षांत समारोह जैसे पावन अवसर पर मार्गदर्शन और प्रेरणा प्राप्त हो रही है। अच्छे कार्यों का सम्मान करना हमारी परंपरा रही है, इसलिए केवल पदक प्राप्त करने वाले ही नहीं, बल्कि वे छोटे-छोटे बच्चे भी सम्मानित होते हैं जो मंच पर आकर अपनी प्रतिभा, भाषण और कौशल का प्रदर्शन करते हैं।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अध्यापकों, परिवार और मित्रों के सहयोग से आगे बढ़ते हैं। प्रत्येक बच्चे में कोई न कोई विशेष कौशल निहित होता है और यह शिक्षा संस्थानों का दायित्व है कि उन्हें ऐसे अवसर प्रदान किए जाएँ, जिनसे उनका कौशल उभरकर सामने आ सके। इसके लिए विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विद्यालयों में नवाचार-आधारित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से भी आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों को प्रेरित करें और घर-विद्यालय हर स्तर पर बच्चों को नवाचार की दिशा में प्रोत्साहित करें। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे अनुशासन के साथ समय पर अपने दायित्वों का निर्वहन करें।

राज्यपाल  ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वे शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं, तब विद्यालय में पूरे वर्ष का कैलेंडर बनाकर बच्चियों से नवाचार संबंधी कार्यक्रम आयोजित कराए जाते थे। उन्होंने गर्व के साथ बताया कि वे बच्चियां आज जीवन में बहुत आगे बढ़ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन में वे अकेली छात्रा थीं, लेकिन उन्हें अध्यापकों का भरपूर सहयोग मिला। इसी प्रकार सभी अध्यापकों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों का सहयोग करें और उन्हें आगे बढ़ाने में मददगार बनें।

उन्होंने शोध के महत्व पर बल देते हुए कहा कि समाज में व्याप्त समस्याओं की पहचान कर उन पर शोध करना तथा शोध को आगे बढ़ाना समय की आवश्यकता है। सरकार शोध के लिए अनुदान देती है, इसलिए इस अनुदान का प्रयोग समाजहित के प्रोजेक्ट्स में होना चाहिए। शोध कार्य पूर्ण होने के बाद उसे संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाना चाहिए ताकि उस पर प्रभावी कार्रवाई हो सके। शोध का मार्गदर्शन करने वाले गाइड के पास अनुभव और ज्ञान होना चाहिए, इस पर भी उन्होंने बल दिया।

राज्यपाल ने कहा कि महाविद्यालयों, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की जानी चाहिए। माता-पिता कठिन परिश्रम करके बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, इसलिए सभी विद्यार्थियों को नियमित रूप से कक्षा में व्याख्यान सुनना चाहिए, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों का उपयोग करना चाहिए और मेहनत करके पढ़ाई में आगे बढ़ना चाहिए। उत्तर प्रदेश युवा शक्ति का बड़ा केंद्र है और इसीलिए प्रदेश के युवाओं की जिम्मेदारी भी सबसे अधिक है। युवा अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें, ज्ञान अर्जित करें और प्रदेश व देश का नाम रोशन करें। जब आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होंगे और आप अपनी उपलब्धियां पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत करेंगे, तभी हमारा देश ‘विश्व गुरु’ बन सकेगा। उस समय सबसे बड़ी जिम्मेदारी युवाओं पर होगी। इसलिए युवाओं को अधिक परिश्रम करना होगा। युवा देश को सर्वोपरि मानकर कार्य करें और देश को विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दें।

सभी महाविद्यालयों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने निर्देश दिया कि वे समय पर प्रवेश लें, समय पर परीक्षाएं कराएं और समय पर अंकतालिकाएं विश्वविद्यालय को भेजें। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय अपने यहां नोटिस बोर्ड लगाएं, सीसीटीवी कैमरे स्थापित करें और 75 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करें। अध्यापक समय से कक्षाएं लें तथा परीक्षा की तारीख और परिणाम की तिथि पहले से निर्धारित होनी चाहिए। बैक पेपर की प्रणाली समाप्त होनी चाहिए, क्योंकि देश को विकसित बनाने के लिए अनुशासन के साथ आगे बढ़ना अनिवार्य है। विद्यार्थियों से उन्होंने आह्वान किया कि वे प्रधानमंत्री जी से प्रेरणा लेकर कठिन परिश्रम और निरंतर प्रयास के बल पर जीवन में आगे बढ़ें और देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएं।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय का विदेशी विश्वविद्यालयों से हुए एमओयू के तहत गतिविधियों में तेजी लाई जाए। विदेशी छात्रों के नामांकन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनके साथ सहयोगपूर्ण और स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए, यही हमारी संकृति है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे पड़ोसी देशों के विश्वविद्यालयों में जाकर वहां की शिक्षा व्यवस्था से सीखें और अच्छे अनुभवों को अपने विश्वविद्यालय में लागू करें। विदेशी छात्र नामांकन के लिए नैक, एनआईआरएफ और वर्ल्ड रैंकिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए विश्वविद्यालयों को अपनी गुणवत्ता को बढ़ाने पर सतत ध्यान देना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने पूर्व छात्रों (एलुमनी) के अनुभव और ज्ञान का लाभ विद्यार्थियों को देना चाहिए। विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाइयों का भ्रमण कराना चाहिए ताकि उन्हें व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो। विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए पेटेंट्स को उद्योग संस्थाओं के सहयोग से व्यावसायिक रूप दिया जाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने यह भी खुशी व्यक्त की कि विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल का उपयोग कर रहा है, जिससे सरकार की धनराशि की बचत हुई है। उन्होंने विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की कि वे समर्थ पोर्टल का और व्यापक स्तर पर उपयोग करें।

उन्होंने निर्देश दिया कि अगले वर्ष का दीक्षांत समारोह जुलाई माह तक पूर्ण कर लिया जाना चाहिए। उन्होंने समाज में व्याप्त दहेज प्रथा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लड़कों को दहेज नहीं लेना चाहिए, क्योंकि दहेज के कारण समाज में अनेक अपराध और समस्याएं उत्पन्न होती हैं। विवाह धन देखकर नहीं, बल्कि संस्कार देखकर होना चाहिए। बेटियों को भी इस विषय में सजग रहना चाहिए और कोई भी निर्णय सोच-समझकर लेना चाहिए। उन्होंने संदेश दिया कि विवाह में परिवार और संस्कार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों के हित में ऐसी नीतियां बननी चाहिए जिनसे उनकी प्रगति सुनिश्चित हो। उन्होंने अध्यापकों से आह्वान किया कि वे अनावश्यक बातों में न उलझें, बल्कि सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाएं और विद्यार्थियों के हित में काम करें। विद्यार्थियों पर अनावश्यक फीस का बोझ नहीं पड़ना चाहिए। यदि कोई विद्यार्थी नामांकन कराने के बाद पढ़ाई जारी नहीं रखता है, तो उसकी फीस वापस की जानी चाहिए। इसके लिए उपयुक्त नीति बनाई जानी चाहिए।

कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय के नवीनीकृत भवनों का लोकार्पण, नवनिर्मित भवनों का ऑनलाइन शिलान्यास, दीक्षांत न्यूजलेटर तथा पुस्तकों का विमोचन किया। अध्यापन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 05 शिक्षकों का सम्मान किया गया। कंपोजिट विद्यालय के बच्चों ने पर्यावरण गीत प्रस्तुत किया (08 बच्चे), जबकि दीक्षोत्सव 2025 के विजेता स्कूली बच्चे ने प्रेरणादायक भाषण दिया। गोद लिए गए गांव में आयोजित प्रतियोगिताओं में 03 विजयी छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए गए और भाषण प्रतियोगिता के विजेता ने देशभक्ति पर संक्षिप्त प्रस्तुति दी। गोद लिए गए गांव के आंगनवाड़ी केन्द्रों से प्रतियोगिता द्वारा चयनित केन्द्रों का सम्मान किया गया और राजभवन द्वारा प्राथमिक विद्यालय को पुस्तकें भेंट की गईं।

कैबिनेट मंत्री उच्च शिक्षा योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि हर माँ बाप अपने बेटे और शिक्षक अपने छात्र को आगे देखना चाहते हैं। इनके ऋण से कोई मुक्त नहीं हो सकता है। मेडल प्राप्त करने वाले छात्र देश और समाज के लिए मॉडल बने।

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने मेधावियों से कहा की शिक्षा यात्रा समापन नहीं है बल्कि नया अध्याय शुरू हो रहा है। इस डिग्री को केवल कागज ने समझे, बल्कि यह एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है। यह डिग्री आपको प्रेरणा देगी देश और समाज में योगदान करने के लिए। बोली की डिग्री पाने वालों में 75 फीसदी बेटिया है। यह बदल रहे भारत और विकसित भारत की तस्वीर है।कुलपति प्रो. पूनम टण्डन ने अपने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह समारोह केवल डिग्री प्रदान करने का नहीं, बल्कि नये भारत की शिक्षा यात्रा में मील का पत्थर है।

इस वर्ष 73 हजार से अधिक उपाधि धारियों में 68.53 प्रतिशत बेटियाँ शामिल रहीं। वहीं 76 पदक विजेताओं में 56 छात्राएँ रही, यानी 73.33 प्रतिषत यह न सिर्फ बदलते समाज की तस्वीर है बल्कि क्षेत्रीय शिक्षा में महिलाओं की सशक्त उपस्थिति का प्रमाण भी। 301 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि दी गई, जो अब तक की सर्वाधिक संख्या है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 166 और उससे पूर्व मात्र 25 था। कुलपति ने इसे शोध संस्कृति और नवाचार का प्रमाण बताया।वैश्विक स्तर पर विश्वविद्यालय ने आठ अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों (अमेरिका, मलेशिया, नेपाल व बांग्लादेश) से सहयोग स्थापित किया है। इसी सत्र में 34 विदेशी छात्र विश्वविद्यालय से जुड़े हैं।

 

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