उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर का 29वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ।इस अवसर पर कुलाधिपति जी ने सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाले स्नातक एवं स्नातकोत्तर के 79 मेधावियों को 80 स्वर्णपदक प्रदान किए। विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत 445 शोधार्थियों को पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की गई, जबकि दो शोधार्थियों को डीलिट की उपाधि दी गई। साथ ही समारोह के मुख्य अतिथि सुनील दत्त को डी.एससी. की मानद उपाधि प्रदान की गई।
इस अवसर पर राज्यपालने आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कुल 500 आंगनबाड़ी किट प्रदान कीं। इनमें से 200 किट जनपद जौनपुर और 300 किट जनपद गाज़ीपुर के लिए वितरित की गईं। इसमें 100 किट पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा एवं 200-200 किट जौनपुर और गाजीपुर जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा तभी सार्थक होती है जब विद्यार्थी गुरु के मार्गदर्शन में कक्षा में सक्रिय संवाद करें। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की गई है और इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों को केवल ज्ञान प्रदान करने तक सीमित न रहें, बल्कि चरित्र निर्माण में भी मार्गदर्शन करें। इसके साथ ही राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालयों में गहन और गंभीर शोध करने पर जोर दिया, क्योंकि केवल शोध ही समाज और देश के लिए उपयोगी परिणाम ला सकता है। इसके लिए शिक्षक और विद्यार्थियों दोनों में जज्बा और समर्पण आवश्यक है।राज्यपाल ने इस संदर्भ में गुजरात में इसरो के शोध का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से आकाशीय बिजली के खतरे पर गंभीर अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष इससे 85 लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि हमारे पास पुरातन ज्ञान, असंख्य पांडुलिपियां और आयुर्वेदिक अनुसंधान हैं, जिन पर काम करना अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी दिशा में शोध करने की पहल की है ताकि समाज तक इसका लाभ पहुँच सके।
इसके अलावा, राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों के बीच एमओयू करने का उद्देश्य आपसी ज्ञान और अनुसंधान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और नवाचार को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि 21वीं सदी के विद्यार्थी किसी संस्थान में प्रवेश लेने से पहले नैक ग्रेडिंग, एनआईआरएफ रैंकिंग और प्लेसमेंट रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हैं। अतः प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए आवश्यक है कि वह अपनी गुणवत्ता और मानक पर ध्यान दे, तभी अधिक विद्यार्थी उनके संस्थान में प्रवेश लेंगे।कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव में आयोजित खेल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने वाले बच्चों को पुरस्कार प्रदान किए। बच्चों ने दहेज कुप्रथा पर भाषण दिया, जबकि छात्राओं ने पर्यावरण और जल संरक्षण पर गीत प्रस्तुत किए। राजभवन की ओर से कुलाधिपति जी ने प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका को पुस्तकें प्रदान कीं। साथ ही विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पाँच शिक्षकों को सम्मानित किया गया।
दीक्षांत समारोह से पूर्व, 9 से 14 वर्ष की आयु की बालिकाओं, जिन्हें पूर्व में पुलिस लाइन में निःशुल्क एचपीवी वैक्सीनेशन कराया गया था, को राज्यपाल ने प्रमाणपत्र वितरित किए। इसके अतिरिक्त, 2024-25 की स्नातक एवं स्नातकोत्तर की 80,141 डिग्रियों को डिजीलॉकर में अपलोड किया गया, जिससे विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्री आसानी से उपलब्ध होगी कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक योग माहात्म्य, वार्षिक पत्रिका गतिमान, और शिक्षकों एवं शोध छात्रों की कुल छह पुस्तकों का विमोचन किया। इसी क्रम में उन्होंने जौनपुर जनपद के जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र की पुस्तक कर्म कुम्भ सहित अन्य पुस्तकों का भी विमोचन किया।
मुख्य अतिथि रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के डिवाइसेज एंड सेल्स प्रेसीडेंट सुनीलदत्त ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत केवल अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। उन्होंने ‘जियो की डिजिटल यात्रा’ का उल्लेख करते हुए बताया कि विश्वास, तकनीक और समावेशिता ने भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर किया है।दत्त ने सात सिद्धांत साझा किए, बड़ा सोचो, छोटा शुरू करो, तेजी से बढ़ो, निरंतर सीखो, असफलता से न डरें, उपयोगकर्ता मत बनो, निर्माता बनो और तकनीक के साथ मानवीय बने रहो। उन्होंने विद्यार्थियों को साहस, रचनात्मकता और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीकर समाज और देश का गौरव बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि जौनपुर की धरती ने हमेशा प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों को जन्म दिया है। उन्होंने विद्यार्थियों को माता-पिता और गुरुओं के संघर्ष की याद दिलाते हुए आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग समाज और राष्ट्र के विकास के लिए करें। उन्हांन युवाओं को आत्मनिर्भर बनने और स्वदेशी अपनाने का संदेश भी दिया।
राज्यमंत्री, उच्च शिक्षा रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा और उपाधियां मेहनत का परिणाम हैं और इन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए सही दिशा में उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने बेटियों को विशेष रूप से संबोधित किया कि वे अपनी शिक्षा और योग्यता से देश की दशा और दिशा बदलने में योगदान दें।समारोह में कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख किया। समयबद्ध परीक्षा परिणाम, 303 शोधपत्र, 15 पेटेंट, स्कोपस पर 15,695 साइटेशन, नेचर इंडेक्स रैंकिंग 2024 में प्रदेश में दूसरा और भारत में 125वां स्थान, डीएसटी-पर्स और समावेशी उच्च शिक्षा कार्यक्रम के तहत बड़े अनुदान और 22 शोध परियोजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों, नई तकनीकी पहल जैसे ईआरपी पोर्टल और प्रवेश में वृद्धि का भी उल्लेख किया।