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यूपी में सड़कों का होगा कायाकल्प, सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने का कार्य जारी

सीनियर जर्नलिस्ट प्रताप राव की कलम से…

लखनऊः योगी सरकार प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं के व्यापक कायाकल्प की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। इसी का नतीजा है कि औद्योगिक विकास, मूलभूत अवसंरचनाओं के निर्माण और पुनर्रुद्धार समेत सभी क्षेत्रों में योगी सरकार की विस्तृत कार्ययोजना रंग लाने लगी है। प्रदेश में सड़कों का सौंदर्यीकरण, गड्ढामुक्ति व मार्गों के रीस्टोरेशन प्रक्रिया जारी है। लोक निर्माण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में वर्ष 2022-23 के बीच गड्ढा मुक्ति के लक्ष्यों को हासिल करने में 100 प्रतिशत सफलता मिली है, वहीं रीस्टोरेशन कार्यों को 93 प्रतिशत तक पूरा किया जा चुका है। बाकी के 7 प्रतिशत कार्यों को भी पूरा करने की ओर तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। सीएम योगी की हमेशा से परिकल्पना गड्ढा मुक्त उत्तर प्रदेश की रही है और इसी परिकल्पना को पूर्ण करने के लिए लोकनिर्माण विभाग द्वारा इस वर्ष अब तक 275 रुपए प्रदेश के सभी जिलों को निर्धारित मार्ग सुदृढ़ीकरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवंटित किया जा चुका है। इन पर भी तेजी से कार्य जारी है और योगी सरकार द्वारा लगातार इस संबंध में मॉनिटरिंग भी की जा रही है।

10 विभागों के संयोजन से किया जा रहा कार्य

आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल 10 विभागों के अंतर्गत 100867 मार्गों के गड्ढा मुक्ति के लक्ष्य को प्राप्त किया गया। जिन विभागों के संयोजन से इन कार्यों को पूरा किया जा रहा है, उनमें लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त नेशनल हाइवे (पीडब्ल्यूडी), नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई-वेस्ट यूपी), एनएचएआई (ईस्ट यूपी), मंडी परिषद विभाग, पंचायती राज विभाग, सिंचाई विभाग, ग्राम्य विकास विभाग (यूपीआरआरडीए), नगर विकास विभाग, गन्ना विभाग, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग तथा अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग शामिल हैं।

रेगुलर मॉनिटरिंग का फ्रेमवर्क तैयार

गौरतलब है कि प्रदेश में मार्गों के नवीनीकरण की प्रक्रिया के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है। राज्य मार्ग के लिए 4 वर्ष, प्रमुख जिला मार्ग के लिए 4 वर्ष, अन्य जिला मार्ग के लिए 5 वर्ष व ग्रामीण मार्गों के नवीनीकरण के लिए 8 वर्ष की समयसीमा निर्धारित की गई है। इसके अंतर्गत आने वाली सड़कों के रीस्टोरेशन, पैचवर्क और सौंदर्यीकरण योजनाओं से संबंधित समस्याओं के निस्तारण, बजट आवंटन व तकनीकी गुणवत्ता निर्धारण समीक्षा समेत अन्य पहलुओं के निर्धारण समेत टेंडरिंग व रेगुलर मॉनिटरिंग के व्यवस्थित फ्रेमवर्क को तैयार कर लिया गया है।

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