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Lucknow : जेपीएनआईसी पर योगी सरकार का बड़ा फैसला, LDA को सौंपी जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लखनऊ के जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPNIC) परियोजना को लेकर बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। लंबे समय से भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों में उलझी इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के हवाले कर दिया गया है। गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में जेपीएनआईसी सोसाइटी को भंग करते हुए इसके संचालन, रखरखाव और शेष निर्माण कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी एलडीए को सौंपने का निर्णय लिया गया।

सपा सरकार के कार्यकाल में 2013 में शुरू हुई इस परियोजना पर 860 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आंकी गई थी। इसमें ऑडिटोरियम, कन्वेंशन सेंटर, मल्टीपर्पज स्पोर्ट्स कोर्ट, विश्वस्तरीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और 750 वाहनों की मल्टी-लेवल पार्किंग जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जानी थीं। लेकिन शुरुआती कुछ वर्षों में ही इसमें भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आईं। कैग की रिपोर्ट में बिना टेंडर कराए काम देने, लागत बढ़ाने और गुणवत्ता से समझौता करने जैसे गंभीर आरोप सामने आए। 2017 में योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इन अनियमितताओं की जांच करवाई और काम को रोक दिया।

अब सरकार ने परियोजना को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए एलडीए को पूरी जिम्मेदारी दी है। एलडीए न केवल शेष निर्माण पूरा करेगा, बल्कि भविष्य में इसके संचालन और रखरखाव का भी जिम्मा संभालेगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जेपीएनआईसी परियोजना के लिए जारी 821.74 करोड़ रुपये की धनराशि एलडीए को ऋण के रूप में दी जाएगी, जिसे उसे आगामी 30 वर्षों में चुकाना होगा। इस व्यवस्था से वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों सुनिश्चित करने का दावा किया गया है।

एलडीए को इस परियोजना के संचालन में निजी सहभागिता का भी अधिकार दिया गया है। यानी एलडीए, रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर लीज या रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर निजी एजेंसियों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं बढ़ेगा और जेपीएनआईसी को एक आत्मनिर्भर मॉडल में बदला जा सकेगा।

जेपीएनआईसी के लिए सरकार की मंशा इसे इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तर्ज पर विकसित करने की है, ताकि यह लखनऊ ही नहीं, पूरे प्रदेश के लिए एक प्रमुख सांस्कृतिक, खेल और सम्मेलन केंद्र के रूप में उभरे। लंबे समय से अधूरी पड़ी इस परियोजना के चलते जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब उम्मीद है कि एलडीए के नेतृत्व में यह आधुनिक और बहुउद्देश्यीय केंद्र जल्द ही लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।

योगी सरकार का यह फैसला एक तरफ जहां पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर वर्षों से बंद पड़े इस प्रोजेक्ट में नई जान फूंकने की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है। जनता की नजर अब इस बात पर रहेगी कि एलडीए इस जिम्मेदारी को कितनी कुशलता और ईमानदारी से निभाता है और कब तक यह केंद्र पूरी तरह से चालू होकर जनता के लिए उपलब्ध हो पाता है।

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