उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार भू-माफियाओं और खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दे रहे हैं। इसके बावजूद जनपद मुजफ्फरनगर में अवैध खनन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के कई थाना क्षेत्रों में खनन माफिया रात होते ही सक्रिय हो जाते हैं और खुलेआम जेसीबी मशीनों, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बड़े डंपरों के सहारे मिट्टी का अवैध खनन करते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी कार्रवाई करने से बच रहा है। कहीं लापरवाही तो कहीं मिलीभगत का आरोप लग रहा है।
मुजफ्फरनगर के शहर कोतवाली, नई मंडी कोतवाली, चरथावल, पुरकाजी, जानसठ, मीरापुर, शाहपुर और बुढ़ाना जैसे आधा दर्जन से अधिक थाना क्षेत्रों में अवैध खनन का यह काला कारोबार बड़े पैमाने पर जारी है। चरथावल-थानाभवन मार्ग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां रात-दिन जेसीबी मशीनों और बिना नंबर वाले डंपरों से मिट्टी की ढुलाई होती रहती है। ये गाड़ियाँ पुलिस चौकियों और थानों के सामने से गुजरती हैं, लेकिन कोई रोक-टोक नहीं होती।
इससे स्पष्ट होता है कि खनन माफिया और स्थानीय पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के बीच गहरी साठगांठ है। जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भू-माफियाओं की कमर तोड़ने में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ अफसर खुलेआम माफियाओं से सांठगांठ कर सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि खेतों और सड़कों की हालत भी बिगड़ रही है। धूल और मिट्टी के कारण लोगों को सांस की गंभीर बीमारियाँ हो रही हैं। बावजूद इसके, तहसील स्तर के अधिकारी जिम्मेदारी टालते हुए केवल जांच का आश्वासन देते हैं, जबकि पुलिस मामले को तहसील पर डालकर खुद को बचा लेती है।