Noida : नोएडा प्राधिकरण को नगर निगम में बदलने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे शहर में पारदर्शिता और बेहतर प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि नोएडा को दिल्ली जैसी चुनी हुई स्थानीय सरकार वाला महानगर निगम बनाया जाए। इस बदलाव के बाद नोएडा में मेयर और सभासद चुने जाएंगे और नगर निगम को शासन के तहत कामकाज में अधिक अधिकार प्राप्त होंगे। इससे शहरवासियों को बेहतर सेवाएँ और सुविधा उपलब्ध होंगी।
वर्तमान में नोएडा भारत का एकमात्र बड़ा शहर है, जहाँ चुनी हुई स्थानीय सरकार नहीं है। नोएडा अथॉरिटी के अधीन शहर का प्रशासनिक और विकास कार्य होता है, लेकिन इसके पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि नगर निगम बनाया गया, तो न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के आधे से ज्यादा काम नगर निगम के पास स्थानांतरित होंगे, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया और निर्णय में पारदर्शिता बढ़ेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी की जाँच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित की थी। SIT की रिपोर्ट में अथॉरिटी में कई कमियों और गड़बड़ियों की जानकारी सामने आई। इसके अलावा दो अधिकारियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आरोप सामने आया कि अधिकारियों ने गलत तरीके से अधिक मुआवजा वितरण किया। इन कमियों को सुधारने और प्रशासनिक सुधार लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम बनाने का मार्गदर्शन दिया।
अगर यह नगर निगम बनता है, तो नोएडा में प्रशासनिक ढांचा दिल्ली के मॉडल जैसा होगा। नगर निगम बनने के बाद शहरवासियों को सीधे प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलेगा और नागरिक सुविधाओं के वितरण में सुधार होगा। नगर निगम बनने से नगर विकास, स्वच्छता, यातायात, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सार्वजनिक सेवाओं में भी तेजी आएगी।
इस प्रक्रिया के तहत न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (NOIDA) के कई प्रशासनिक और विकास कार्य नगर निगम को हस्तांतरित होंगे। इससे प्राधिकरण और नगर निगम दोनों के बीच जिम्मेदारी स्पष्ट होगी और शहर में बेहतर योजना, विकास और नागरिक सहभागिता सुनिश्चित की जा सकेगी।