दुल्हा और दुल्हन हल्दी की रस्म में पीले कपड़े क्यों पहनते हैं

ABHINAV TIWARI

धार्मिक मान्यता

हल्दी पीले रंग की होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पीला रंग त्याग का प्रतीक होता है जो हमें यह शिक्षा देता है कि वैवाहिक जीवन में एक दूसरे के लिए कई तरह के त्याग करने होते हैं।

रस्म की शुरुआत

प्राचीन काल से शादियों के समारोह में हल्दी लगाने की परंपरा को निभाया जा रहा है। आज के समय में भी हल्दी के रस्म का महत्व कम नहीं हुआ है, खुशी और उमंग के साथ इस रस्म को पूरा किया जाता है।

नजर से बचाने के लिए

हल्दी की रस्म में दुल्हा-दुल्हन को अपशकुन व नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है। साथ ही इस शुभ मौके पर वर-वधु पीले कपड़े पहनते हैं।

वैज्ञानिक कारण

हल्दी लगाने से त्वचा का रंग निखरता है इसलिए भी शादी में दुल्हा-दुल्हन को हल्दी लगायी जाती है। साथ ही धूप में बाहर निकलने से त्वचा का रंग काला पड़ने से बचाने के लिए किया जाता है।

हल्दी का औषधि गुण 

दुल्हा-दुल्हन को सुंदर और मजबूत बनाने के लिए हल्दी के उपयोग किया जाता है, क्योंकि हल्दी हमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है जिस वजह से तमाम तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। 

हल्दी रस्म का महत्व

शादी के माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए हल्दी के रस्म को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें परिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं।

शुभ प्रभाव

हल्दी के शादी के रस्म में बहुत ही शुभ माना जाता है, मान्यता है कि हल्दी शरीर को पवित्र बना देती है और इसी के साथ हल्दी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

NOTE:यह पोस्ट समान्य जानकारी के आधार पर आधारित है और पब्लिक डोमेन में उपस्थित है "यूपी की बात" न्यूज़ चैनल इस जानकारी की पुष्टि और जिम्मेदारी नहीं लेता है। 

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