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Lucknow : विश्वविद्यालय के 68वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल व कुलाधिपति की गरिमामयी उपस्थिति

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में 68वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को 1,26,254 उपाधियाँ एवं 201 पदक तथा आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने हेतु जनपद बाराबंकी के 300 आंगनबाड़ी केंद्रों हेतु आंगनबाड़ी किट एवं हेल्थ किट भी प्रदान किए।कुलाधिपति ने लखनऊ विश्वविद्यालय के 68वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छात्राओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर नई मिसाल कायम की है। कुल पदकों में से लगभग 80 प्रतिशत पदक बेटियों ने अर्जित किए, जो कि उच्च शिक्षा में महिला सशक्तिकरण का प्रेरक उदाहरण है। पहली बार किसी विश्वविद्यालय में इतनी बड़ी संख्या में पदक प्रदान किए गए हैं। यह उपलब्धि विश्वविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता और विद्यार्थियों की मेहनत का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में पदक प्रदान किए जाने पर उन्हें अत्यंत प्रसन्नता है। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या उल्लेखनीय रूप से अधिक रही। इनमें ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों की छात्राएँ शामिल हैं, जो यह दर्शाता है कि अब गाँव-गाँव से बेटियाँ उच्च शिक्षा के माध्यम से समाज और राष्ट्र निर्माण की मुख्य धारा में जुड़ रही हैं। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों और शिक्षकों को हार्दिक धन्यवाद देते हुए कहा कि यह उपलब्धि सामूहिक परिश्रम और समर्पण का परिणाम है।

उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहे हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा निरंतर बढ़ रही है, जो अध्यापकों और विद्यार्थियों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भविष्य में समाज, प्रदेश और राष्ट्र निर्माण में अपनी सार्थक भूमिका निभाएँगे।कुलाधिपति जी ने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी और इसे कड़ाई से लागू किया जाएगा। यदि विद्यार्थियों की उपस्थिति निर्धारित सीमा से कम होगी तो उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों में बैक पेपर की सुविधा समाप्त होनी चाहिए और इसे भी सख्ती से लागू किया जाए।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को निर्देश देते हुए कहा कि शिक्षण कार्य के साथ-साथ अध्यापक एवं शोधार्थी लेखन, शोध और पेटेंट की दिशा में अवश्य कार्य करें। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने वर्षों तक शोध किया, किंतु पेटेंट की कमी के कारण उसका लाभ अन्य देशों ने उठाया। इसलिए अब यह आवश्यक है कि परिश्रम और शोध के परिणामों का पेटेंट कराया जाए।उन्होंने कहा कि परिश्रम का परिणाम सदैव सुंदर होता है। आज विश्वविद्यालयों के सामूहिक परिश्रम से ही नैक मूल्यांकन, एनआईआरएफ रैंकिंग और एशिया रैंकिंग आदि में उत्कृष्ट उपलब्धियाँ प्राप्त हो रही हैं। यह विश्वविद्यालयों की सकारात्मक सोच और मेहनत का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों से विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या भी निरंतर बढ़ी है। उन्होंने सभी को बधाई देते हुए कहा कि यहाँ रुकना नहीं है, बल्कि और ऊँचाई हासिल करनी है तथा विश्वविद्यालय की रैंकिंग को और बेहतर बनाना है। राज्यपाल जी ने बताया कि ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा गाँव के बच्चों को पढ़ाने के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय को भी इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार युवाओं के लिए नवाचार और शोध के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है तथा इसके लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध करा रही है। यदि हमारी नींव मजबूत होगी तभी देश विकास करेगा, और यह नींव तभी मजबूत होगी जब हम गाँवों के आंगनबाड़ी केंद्रों और प्राथमिक विद्यालयों से शुरुआत करेंगे। वहाँ के बच्चों को भी टेक्नोलॉजी का विचार और ज्ञान प्राप्त होना चाहिए। भारत ’विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है। इस दिशा में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 शिक्षा, कौशल विकास, अनुसंधान और नवाचार को प्राथमिकता देते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए मजबूत आधार तैयार कर रहा है। आगामी पाँच वर्षों में देशभर के सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएँगी, जिनमें से अब तक 10,000 से अधिक प्रयोगशालाएँ शुरू की जा चुकी हैं। इन प्रयोगशालाओं से बच्चों में वैज्ञानिक जिज्ञासा, प्रयोगशीलता और नवाचार की भावना जागृत होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा अब केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि छात्रों को हाथों-हाथ सीखने, खोज करने और समस्याओं का समाधान ढूँढने का अवसर मिलेगा।

राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए ’भारत नेट’ परियोजना के अंतर्गत सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा। डिजिटल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार गाँव-गाँव तक पहुँचेगा, जिससे ज्ञान और चिकित्सा सुविधाओं की असमानता दूर होगी।उन्होंने उच्च शिक्षा में सुधारों का उल्लेख करते हुए बताया कि देश के 23 आईआईटी संस्थानों में विद्यार्थियों की संख्या 65,000 से बढ़कर 1,35,000 हो गई है। इससे उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी शिक्षा अब अधिक युवाओं तक पहुँच रही है। साथ ही, छात्रों को अपनी मातृभाषा में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए ’भारतीय भाषा पुस्तक योजना’ शुरू की जा रही है, जिससे शिक्षा सहज, समावेशी और प्रभावशाली बनेगी। राज्यपाल ने कहा कि इन पहलों से नई पीढ़ी वैज्ञानिक दृष्टिकोण, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगी और भारत के ’विकसित भारत’ के संकल्प को साकार करेगी।उन्होंने बताया कि अनुसंधान क्षेत्र में नये आयाम जोड़ते हुए प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप योजना के अंतर्गत अगले पाँच वर्षों में 10,000 फेलोशिप प्रदान की जाएँगी। यह पहल युवाओं को उच्च शिक्षा एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को संजोने के लिए ‘ज्ञान भारतम’ मिशन की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के सहयोग से एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, लेखन एवं संरक्षण किया जाएगा। साथ ही एक राष्ट्रीय डिजिटल डिपॉजिटरी की स्थापना कर इस धरोहर को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।इस अवसर पर राज्यपाल ने डिजी-लॉकर में अंक तालिका एवं उपाधियों का समावेश भी किया एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार को मानद उपाधि से सम्मानित किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए विद्यालयों के बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण तथा ’बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ विषय पर आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय की नई पहल श्डंदवउपजतंरू डमदजंस भामंसजी नंदक जिमातंचमंजपब एवसनजपवदेशः परामर्श केन्द्र का उद्घाटन किया तथा इसके लोगो का लोकार्पण भी किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय की उपलब्धियों एवं वार्षिक गतिविधियों (2024-25) का विमोचन तथा शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का लोकार्पण भी राज्यपाल द्वारा किया गया।

समारोह के दौरान राज्यपाल ने लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए प्राथमिक विद्यालयों के विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को स्मृति-चिह्न एवं प्रशस्ति-पत्र भेंट किए। साथ ही राजभवन की ओर से विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों को पुस्तकें भी प्रदान की गईं।उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों एवं पदक प्राप्तकर्ताओं को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवशाली रहा है और इसकी शैक्षणिक परंपराएँ आज भी विद्यार्थियों को प्रेरित करती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें समाज के लिए आदर्श (मॉडल) बनना है। उनकी उपलब्धियों में परिवार, समाज और सरकार सभी का योगदान है। इसलिए विद्यार्थियों को राष्ट्र निर्माता बनने के लिए सतत प्रयास करना चाहिए।उन्होंने कहा कि राज्यपाल की प्रेरणा से आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने का कार्य हो रहा है तथा विश्वविद्यालयों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ा गया है। राज्यपाल सदैव अंतिम छोर पर बैठे लोगों की चिंता करती हैं और समाज के लिए कार्य करती हैं। उनके मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में प्रदेश के विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को उच्च शिक्षा की नई दिशा प्राप्त हुई है। आज प्रदेश के विश्वविद्यालय नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं और राज्यपाल जी के प्रेरणादायी नेतृत्व में शिक्षा की गुणवत्ता एवं उपलब्धियाँ निरंतर बढ़ रही हैं।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए बधाई दी और कहा कि यह सफलता उनके कठिन परिश्रम और समर्पण का परिणाम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि वर्ष 2047 तक भारत को एक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाया जाए और इसमें युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि उत्तर प्रदेश के युवाओं का योगदान सबसे अधिक होना चाहिए, क्योंकि प्रदेश की युवा शक्ति देश के भविष्य को नई दिशा देने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहा कि पहले भारत एक विकासशील राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ रहा था, लेकिन अब देश विकसित भारत बनने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2047 से पहले ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना युवाओं के प्रयासों और समर्पण से साकार होगा।समारोह के मुख्य अतिथि, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. शेखर सी माण्डे तथा लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मनुका खन्ना ने भी विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों पर बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की सफलता न केवल उनके व्यक्तिगत परिश्रम का परिणाम है, बल्कि इससे विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रतिष्ठा भी और अधिक समृद्ध हुई है।

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