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Noida : नोएडा प्राधिकरण के सीईओ की सख्ती,बिना मंजूरी रुके वर्क ऑर्डर और टेंडर

नोएडा प्राधिकरण में वित्तीय व्यवस्थाओं और वर्क ऑर्डर की प्रक्रिया पर सख्ती बरतते हुए सीईओ लोकेश एम ने बड़ा फैसला लिया है। अब तक प्राधिकरण में एक से पांच लाख रुपये तक के कार्यों का वर्क ऑर्डर डीजीएम स्तर से और दो करोड़ रुपये तक के टेंडर की मंजूरी एसीईओ स्तर से दी जाती थी। लेकिन सीईओ ने इन दोनों श्रेणियों पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है।

अनियमितताओं पर रोक
दरअसल, लंबे समय से यह शिकायतें मिल रही थीं कि छोटे-छोटे कामों को आकस्मिक और आपातकालीन श्रेणी में दिखाकर बिना ई-टेंडर या कोटेशन के ही मंजूरी दे दी जाती थी। इतना ही नहीं, कई बार बड़े कामों को छोटे हिस्सों में बांटकर स्वीकृति ली जाती थी, जिससे सीईओ स्तर पर निगरानी से बचा जा सके। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और अधिकारों के दुरुपयोग की आशंका सामने आई थी।सीईओ लोकेश एम के आदेश में साफ कहा गया है कि अब तक वरिष्ठ अधिकारियों तक इन कार्यों की वास्तविक जानकारी नहीं पहुंच पाती थी और भुगतान तक कर दिए जाते थे। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने 2023-24 और 2024-25 में जारी किए गए सभी वर्क ऑर्डर और टेंडरों की सूची तलब की है।

वित्तीय शक्तियों पर अंकुश
प्राधिकरण में अलग-अलग स्तर पर वित्तीय अधिकार बांटे गए थे। वरिष्ठ प्रबंधक को पूरे साल में 50 लाख तक, जबकि महाप्रबंधक को एक करोड़ रुपये तक के वर्क ऑर्डर जारी करने की शक्ति थी। एसीईओ स्तर पर दो करोड़ रुपये तक के टेंडर स्वीकृत किए जाते थे। लेकिन अब सीईओ लोकेश एम की नई व्यवस्था के तहत इन सभी शक्तियों को रोक दिया गया है। जब तक नई प्रक्रिया तय नहीं होती, तब तक किसी भी स्तर पर मंजूरी संभव नहीं होगी।

इंजीनियरों के “जुगाड़” पर भी रोक
पिछले कुछ समय से यह देखा गया था कि बड़े कामों को छोटे हिस्सों में बांटकर मंजूरी ली जा रही थी। जैसे सड़क या पार्क से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को 10–15 लाख की किस्तों में विभाजित कर वर्क ऑर्डर जारी करना। इससे समिति और सीईओ की निगरानी से बचा जा सकता था। लेकिन अब इस तरीके पर भी रोक लग गई है।

सबसे ज्यादा वर्क ऑर्डर जल और विद्युत विभाग से
प्राधिकरण में अब तक सबसे ज्यादा वर्क ऑर्डर जल और विद्युत यांत्रिक विभाग से निकल रहे थे। इसके अलावा सिविल विभाग से भी इंटरलॉकिंग, फुटपाथ, पार्क और सड़क मरम्मत के लिए आदेश दिए जा रहे थे। सीईओ ने साफ किया है कि इन सभी ऑर्डरों की जांच की जाएगी।

सड़कों की मरम्मत पर असर नहीं
सीईओ लोकेश एम ने स्पष्ट किया है कि यह रोक आम जनता की जरूरतों को प्रभावित नहीं करेगी। बारिश में उखड़ी या टूटी सड़कों की मरम्मत इस आदेश के दायरे से बाहर रहेगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जरूरी कार्यों को किसी भी हाल में रोका नहीं जाएगा।

पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
सीईओ लोकेश एम का यह कदम प्राधिकरण में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। फरवरी 2024 में भी ऐसी ही रोक लगाई गई थी, लेकिन कुछ समय बाद व्यवस्था दोबारा शुरू हो गई थी। इस बार उम्मीद है कि नियमों को और सख्त किया जाएगा और अनियमितताओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक व्यवस्था लागू होगी।

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