केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों और अभिभावकों को चेतावनी देते हुए कहा है कि बाजार में NCERT की नकली और त्रुटिपूर्ण पुस्तकों की भरमार है।
इन पुस्तकों की गुणवत्ता बेहद खराब है और इनमें मुद्रण व विषयवस्तु संबंधी गलतियाँ पाई गई हैं, जो छात्रों के सीखने की प्रक्रिया को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। इसी वजह से बोर्ड ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे केवल प्रामाणिक NCERT किताबें ही अधिकृत स्रोतों से खरीदें।
नकली किताबें छात्रों के लिए खतरा: CBSE
CBSE ने कहा कि कई अनधिकृत विक्रेता NCERT की नकली पुस्तकों को रियायती दरों पर बेच रहे हैं, जिससे अभिभावक भ्रमित हो जाते हैं। बोर्ड ने चिंता व्यक्त की कि- इन फर्जी पुस्तकों में कमजोर कागज़, गलत प्रिंटिंग, तथा भ्रमित करने वाली सामग्री होती है। यह सब छात्रों के सीखने की गुणवत्ता को कम करता है और उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
स्कूलों को निर्देश – अभिभावकों को सतर्क करें
CBSE ने सभी स्कूल प्रमुखों से कहा है कि-
- अभिभावकों और छात्रों को नकली पुस्तकों की पहचान बताएं
- केवल अधिकृत माध्यमों से ही NCERT किताबें खरीदने को प्रोत्साहित करें
- यदि स्कूल खुद किताबें खरीदते हैं, तो वे केवल NCERT और CBSE द्वारा जारी अधिकृत विक्रेताओं से ही खरीदें
इन अधिकृत माध्यमों से खरीदें NCERT किताबें
सभी प्रामाणिक किताबें यहां से खरीदी जा सकती हैं-
- NCERT के क्षेत्रीय उत्पादन एवं वितरण केंद्र
- NCERT वेबसाइट पर सूचीबद्ध अधिकृत विक्रेता
- NCERT डाक आपूर्ति सेवा (Postal Service)
- NCERT का आधिकारिक Amazon Storefront
- अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुवाहाटी, कोलकाता, दिल्ली के NCERT RPDC कार्यालय
दिल्ली में 12,755 नकली किताबें जब्त, दो आरोपी गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने बड़ा खुलासा करते हुए NCERT की 12,755 नकली पुस्तकें बरामद की हैं। गिरफ्तार आरोपी-
- कनिष्क (यमुना विहार)
- विनोद जैन (प्रीत विहार)
दरियागंज स्थित गोदाम में छापा मारकर यह कार्रवाई की गई। दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है। पुलिस के अनुसार, यह गिरोह लंबे समय से बड़े पैमाने पर फर्जी किताबों की सप्लाई कर रहा था।
CBSE की यह एडवाइजरी स्पष्ट करती है कि आने वाले शैक्षणिक सत्र में पुस्तकों की गुणवत्ता को लेकर बोर्ड बेहद सख्त है। नकली पुस्तकों का इस्तेमाल रोकने के लिए स्कूलों, अभिभावकों और छात्रों को जागरूक रहना होगा, ताकि बच्चों को सही, प्रमाणित और गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सामग्री प्राप्त हो सके।

