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Magh Mela-2026 की तैयारियों की समीक्षा: आस्था, सुरक्षा और सुव्यवस्थित प्रशासन पर सरकार का फोकस

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में प्रयागराज के पावन संगम तट पर होने वाले माघ मेला-2026 की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि माघ मेला केवल आस्था का आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा, सामाजिक अनुशासन और प्रशासनिक दक्षता का सजीव उदाहरण है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित वातावरण उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

कल्पवास और संगम स्नान भारतीय सांस्कृतिक चेतना की आत्मा

मुख्यमंत्री ने कहा कि संगम पर कल्पवास, स्नान और साधना की परंपरा भारतीय सांस्कृतिक चेतना की आत्मा है। इस वर्ष 15 से 25 लाख श्रद्धालु केवल कल्पवासी होंगे। महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद माघ मेला-2026 को लेकर देश और दुनिया में विशेष उत्साह है। यह आयोजन समाज को संयम, समरसता और सेवा का संदेश देता है। उन्होंने सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ समयबद्ध ढंग से कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए, ताकि माघ मेला-2026 में आस्था, सुरक्षा, स्वच्छता, नवाचार और संवेदनशील प्रशासन का संतुलित स्वरूप दिखाई दे।

प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रमुख स्नान पर्वों पर किसी भी प्रकार का वीआईपी प्रोटोकॉल लागू न किया जाए और इस संबंध में समय रहते आवश्यक सूचना जारी की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि माघ मेले से जुड़े सभी विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव स्तर के अधिकारी और अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) स्वयं मेला क्षेत्र जाकर तैयारियों की समीक्षा करें। माघ मेले से संबंधित सभी व्यवस्थाएं 31 दिसंबर 2025 तक हर हाल में पूरी कर ली जाएं।

44 दिनों का माघ मेला, 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान

बैठक में मंडलायुक्त प्रयागराज ने जानकारी दी कि माघ मेला-2026 का आयोजन 3 जनवरी से 15 फरवरी 2026 तक कुल 44 दिनों तक होगा। इस दौरान पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि जैसे प्रमुख स्नान पर्व पड़ेंगे। पूरे मेला काल में 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जबकि मौनी अमावस्या के दिन एक ही दिन में साढ़े तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम स्नान की संभावना को देखते हुए व्यवस्थाएं की जा रही हैं।

मेला क्षेत्र का विस्तार और बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार

बैठक में बताया गया कि इस वर्ष मेला क्षेत्र का विस्तार बढ़ाकर लगभग 800 हेक्टेयर कर दिया गया है। सेक्टरों की संख्या 5 से बढ़ाकर 7 की गई है। स्नान घाटों की कुल लंबाई में पिछले माघ मेले की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 42 पार्किंग स्थल, 9 पांटून पुल, बेहतर आंतरिक सड़क व्यवस्था और सुगम आवागमन की विस्तृत कार्ययोजना अंतिम चरण में है।

सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में आधुनिक तकनीक का उपयोग

मुख्यमंत्री ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया। ट्रैफिक और क्राउड मैनेजमेंट के लिए ठोस और बहुस्तरीय योजना बनाने तथा अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। पुलिस आयुक्त प्रयागराज कमिश्नरेट ने बताया कि मेला अवधि के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जा रहा है। लगभग 450 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिनमें से 250 कैमरे स्थापित किए जा चुके हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी तैनात रहेंगी। मेला क्षेत्र में एआई आधारित सर्विलांस और क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जा रहा है।

पुलिस व्यवहार, स्वयंसेवक सहयोग और नाविकों से संवाद

मुख्यमंत्री ने पुलिसकर्मियों के लिए श्रद्धालु-संवेदनशील व्यवहार का प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही एनएसएस स्वयंसेवकों और एनसीसी कैडेट्स को व्यवस्थाओं में शामिल करने, नाविकों के साथ संवाद और समन्वय बनाए रखने तथा खान-पान और विभिन्न सेवाओं के शुल्क को नियंत्रित रखने पर भी जोर दिया।

नवाचारों से बनेगा माघ मेला-2026 नया मानक

मुख्यमंत्री ने कहा कि माघ मेला-2026 सुविधाओं और तकनीक के स्तर पर नया मानक स्थापित करे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ऐप आधारित बाइक-टैक्सी सेवा, दिशा-सूचक संकेतों का विस्तार, विद्युत पोलों पर क्यूआर कोड आधारित पहचान प्रणाली, निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए रिंग मेन यूनिट, कटाव रोकने के लिए जियो-ट्यूब तकनीक और पूर्वनिर्मित सीवेज शोधन संयंत्र जैसी व्यवस्थाएं लागू की जा रही हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि ये नवाचार ज़मीनी स्तर पर प्रभावी रूप से दिखाई देने चाहिए।

स्वच्छता, सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज

मुख्यमंत्री ने कहा कि माघ मेला स्वच्छता का उदाहरण बने। इसके लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मेला क्षेत्र में 16,650 शौचालय स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें महिलाओं के लिए अलग और पर्याप्त सुविधाएं होंगी। लगभग 3,300 सफाई मित्रों की 24 घंटे तैनाती की जाएगी। उनके लिए सैनिटेशन कॉलोनी, बच्चों हेतु आंगनबाड़ी और प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था भी की गई है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्वच्छताकर्मियों का मानदेय हर हाल में 15 दिनों के भीतर भुगतान किया जाए। साथ ही मेला क्षेत्र में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि गंगा-यमुना की पवित्रता अक्षुण्ण बनी रहे।

स्वास्थ्य, नदी और आपदा प्रबंधन की पुख्ता व्यवस्था

बैठक में बताया गया कि मेला क्षेत्र में 20-20 बेड के दो अस्पताल, 12 प्राथमिक उपचार केंद्र, 50 एंबुलेंस तथा आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सा इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। नदी और बाढ़ प्रबंधन के तहत नदी प्रशिक्षण, अस्थायी तटबंध, जेट्टी निर्माण, नालों की सफाई और जलस्तर की निरंतर निगरानी की जा रही है। जेट्टी निर्माण का कार्य लगभग 85 प्रतिशत पूरा हो चुका है। मुख्यमंत्री ने नियमित गश्त, प्रभावी मॉक ड्रिल और अग्निशमन दस्तों को आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

लोक संस्कृति और दुर्लभ पांडुलिपियां होंगी आकर्षण

इस वर्ष पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से माघ मेला-2026 के दौरान लोकनृत्य, लोकनाट्य, भजन-कीर्तन, रामलीला और प्रदेश की समृद्ध कला-संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही 19वीं और 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक माघ मेला आयोजनों से जुड़े लोक अभिलेखों और सनातन परंपरा व अध्यात्म से संबंधित दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनी भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण होगी।

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