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Etah : स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, महिला डॉक्टर ने खोली पोल

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां एक ओर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं चला रही है, वहीं जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। एटा जिले के वीरांगना अवंती बाई मेडिकल कॉलेज में तैनात महिला डॉक्टर अंकिता शर्मा ने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली और लापरवाही को लेकर बड़ा खुलासा किया है। डॉक्टर अंकिता ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए।

डॉ. अंकिता शर्मा, जो कि मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग में सहायक आचार्य पद पर तैनात हैं, ने आरोप लगाया कि उनके विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. हिमा वार्ष्णेय सप्ताह में सिर्फ एक-दो दिन ही कॉलेज आती हैं। इसके बावजूद, वे उपस्थिति रजिस्टर में पूरे महीने की हाजिरी दर्ज कर देती हैं। इतना ही नहीं, रजिस्टर को लॉकर में बंद कर रखा जाता है ताकि अन्य स्टाफ उसे इस्तेमाल न कर सके। इससे न केवल अनुशासनहीनता बढ़ रही है, बल्कि विभाग में मौजूद अन्य कर्मचारियों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में भी बाधा आ रही है।

महिला डॉक्टर के अनुसार, जब उन्होंने इस मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों से की तो कोई सुनवाई नहीं हुई। उल्टा उनके खिलाफ ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी। कॉलेज की ओर से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और जून महीने की सैलरी भी रोक दी गई। डॉक्टर अंकिता का आरोप है कि नए-नए शैक्षणिक कार्यक्रमों का सारा भार भी उन्हें ही सौंप दिया गया, जिससे उनका उत्पीड़न हो रहा है।

डॉ. अंकिता ने इस वीडियो में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, स्वास्थ्य मंत्रालय, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी एटा को टैग किया, जिससे यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया। हालांकि बाद में उन्होंने वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से हटा लिया, लेकिन तब तक यह सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था और विभागीय हलकों में चर्चा का विषय बन गया।

वीरांगना मेडिकल कॉलेज इससे पहले भी विवादों में रहा है। कुछ दिन पहले किसानों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए यहां धरना प्रदर्शन किया था। पत्रकारों के साथ अभद्रता और मेडिकल कॉलेज परिसर में कवरेज पर रोक लगाने के मामलों में भी कॉलेज चर्चा में रह चुका है। पत्रकारों के विरोध के बाद जिलाधिकारी को हस्तक्षेप करना पड़ा था और पत्रकारों के प्रवेश पर लगी रोक को हटाना पड़ा।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस महिला डॉक्टर ने विभागीय गड़बड़ियों की पोल खोली, अब वही विभागीय प्रताड़ना का सामना कर रही हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार ऐसे मामलों में पारदर्शी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेगी या फिर एक सच्ची आवाज को ही दबा दिया जाएगा।

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