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Lucknow : पदस्थापना और भ्रष्टाचार पर नंदी से पूछा सवाल, एडिटर इन चीफ के सवालो से असहज हुए औद्योगिक विकास मंत्री

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास विभाग में पदस्थापना और पदोन्नति के बाद मचे घमासान के बीच बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जब इस मुद्दे पर यूपी की बात के एडिटर इन चीफ एवं सीईओ आर.सी. भट्ट ने औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी से सवाल किया तो मंत्री ने उन्हें “ब्लैकमेलर” कहकर संबोधित किया। दरअसल यूपी की बात लगातार औद्योगिक विकास विभाग में अधिकारियों की पदस्थापना, प्रतिनियुक्ति और पदोन्नति के बाद कथित भ्रष्टाचार को लेकर खबरें दिखा रहा था, जिस पर मंत्री नंदी खुद असहज बताए जा रहे हैं।

मंत्री नंद गोपाल नंदी से जब यह पूछा गया कि आखिर डेढ़ दर्जन से ज्यादा अधिकारियों के तबादले और उनकी नई पोस्टिंग में किन मानकों का पालन किया गया, तथा इसमें पारदर्शिता क्यों नहीं दिख रही, तो उन्होंने सीधा जवाब देने के बजाय पत्रकार पर ही सवाल खड़े कर दिए और उसे ब्लैकमेलिंग की संज्ञा दे दी। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब आर.सी. भट्ट ने विभाग में हो रही नियुक्तियों और पदस्थापना में गड़बड़ी की एसआईटी जांच की मांग भी कर डाली।

बताते चलें कि औद्योगिक विकास विभाग में कई अधिकारियों को पदोन्नति देने के बाद मनमानी तैनाती और प्रतिनियुक्ति पर लेकर जाने की शिकायतें मिल रही थीं। यूपी की बात ने पिछले एक साल से इन गड़बड़ियों को उजागर किया है, जिसमें विभाग में भाई-भतीजावाद, सिफारिश और घूसखोरी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। इस मुद्दे पर मंत्री से जब भी जवाब मांगा गया, उन्होंने या तो चुप्पी साध ली या टालमटोल करते रहे। लेकिन इस बार सवाल कड़ा होने पर मंत्री ने पत्रकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

आर.सी. भट्ट का कहना है कि पत्रकारिता का काम सवाल पूछना है और जनहित में जिम्मेदारी से सवाल पूछे जाएंगे, चाहे किसी को अच्छा लगे या बुरा। उन्होंने साफ किया कि अगर औद्योगिक विकास विभाग में सब कुछ पारदर्शी है तो एसआईटी जांच से मंत्री को डरना क्यों चाहिए? भट्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया जाए और पदस्थापना, पदोन्नति और प्रतिनियुक्ति में गड़बड़ियों की निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि विभाग में पारदर्शिता और ईमानदारी कायम रह सके।

इस बीच सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कई लोगों ने कहा कि अगर मंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप बेबुनियाद हैं तो उन्हें जांच से क्यों डरना चाहिए, वहीं कुछ लोगों ने पत्रकार पर ब्लैकमेलिंग जैसे शब्द का इस्तेमाल करने को निंदनीय बताया है।

अब निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हैं कि वे इस विवाद में किस तरह का रुख अपनाते हैं। क्या एसआईटी जांच कराकर सच्चाई सामने लाएंगे या फिर इसे एक राजनीतिक तकरार मानकर छोड़ देंगे? आने वाले दिनों में इसका असर यूपी की साख और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर भी दिख सकता है।

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