नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे गहरी सीवरेज लाइन को क्रियाशील करने का जिम्मा अब नोएडा प्राधिकरण खुद उठाएगा। इस परियोजना को 22 साल पहले उप्र जल निगम को सौंपा गया था, लेकिन लंबे समय तक काम अधूरा रहने के कारण प्राधिकरण ने अब इसका MOU रद्द कर दिया है।
अब प्राधिकरण कराएगा काम, खर्च आएगा 40 करोड़
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने जानकारी दी कि जल निगम इस प्रोजेक्ट को 63.36 करोड़ और 1.5 साल में पूरा करने का प्रस्ताव दे रहा था, जबकि प्राधिकरण इसे 40 करोड़ रुपये और महज एक साल में पूरा कर सकता है। इसी आधार पर 2002 में साइन हुआ एमओयू निरस्त कर दिया गया है।
क्यों जरूरी है यह प्रोजेक्ट
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के सेक्टर-14A से लेकर 20 किमी तक दोनों ओर डाली गई सीवर लाइन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त और निष्क्रिय हो चुकी है। तेजी से बढ़ती औद्योगिक, आवासीय और ग्रामीण आबादी के चलते यह समस्या गंभीर होती जा रही थी। सीवेज का पानी ग्रीन बेल्ट में भर रहा है, जिससे एनजीटी में याचिकाएं भी दायर की जा चुकी हैं।
22 साल पुराना एमओयू, अधूरी रही परियोजना
वर्ष 2002 में 98.33 करोड़ रुपए के एमओयू के तहत जल निगम को 20-20 किमी की गहरी सीवरेज लाइन और 8 इंटरमीडियट व 2 मास्टर पंपिंग स्टेशन का निर्माण करना था। वर्ष 2014 तक प्राधिकरण ने 140.09 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया था, फिर भी बड़ी संख्या में कार्य अधूरे रह गए। सेक्टर-142 और सेक्टर-168 पर बनने वाले पंपिंग स्टेशन आज भी अधूरे हैं।
क्या किया गया था और क्या नहीं
- केवल कुछ ग्रेविटी लाइन, राइजिंग लाइन और RCC वेल का निर्माण हुआ।
- न कोई टेस्टिंग, न ही प्रोजेक्ट का हैंडओवर।
- नोएडा मेट्रो, DFC और अंडरपास निर्माण के चलते पुरानी सीवर लाइनें और क्षतिग्रस्त हो गईं।
जल निगम ने फिर मांगे 63 करोड़
साल 2023 में हुई एक बैठक में जल निगम ने प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 63.36 करोड़ और 1.5 साल का समय मांगा। विश्लेषण से पता चला कि यही काम प्राधिकरण खुद 40 करोड़ में एक साल में करा सकता है।
क्लॉज के तहत MOU निरस्त
MOU में मौजूद क्लॉज-9 और क्लॉज-11 के अंतर्गत नोएडा प्राधिकरण को अधिकार है कि वह बिना कारण बताए कार्य से एजेंसी को बेदखल कर सकता है, और उसे कोई मुआवजा भी नहीं देना होगा। इसी आधार पर प्राधिकरण ने जल निगम को हटाकर खुद प्रोजेक्ट पूरा करने का निर्णय लिया है।