उत्तर प्रदेश राज्य से सुल्तानपुर जिले की आगामी चुनाव 2024 के लिए भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी ने बहुत समय बाद अपने बेटे वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट न मिलने पर अपने मौन को तोड़ा है। जिसके लिए वे पीलीभीत संसदीय सीट पर भावुक नजर आई। उन्होंने कहा कि यहां से उनका पारिवारिक संबंध है और वे यहां से खुद लंबे समय तक सांसद रह चुकी हैं।
मेनका गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सुल्तानपुर सीट से प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारी गई हैं और फिलहाल चुनाव प्रचार-प्रसार में व्यस्त हैं। इस प्रचार-प्रसार के दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह से निषादराज ने भगवान राम की नैया पार लगाई थी, अब उसी तरह जनता मोदी जी को भी पार करायेगी।
पीलीभीत को लेकर भावुक हुई मेनका गांधी
भाजपा ने सुल्तानपुर संसदीय सीट से मेनका गांधी को टिकट दिया लेकिन इस बार पीलीभीत से उनके बेटे वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया। जिसे लेकर सवाल पूछे जाने पर मेनका गांधी भावुक हो गई। उन्होंने प्रश्न के उत्तर देते हुए कहा कि पीलीभीत के लोगों से मेरा 30 साल से पारिवारिक रिश्ता रहा है। मैं पीलीभीत से लंबे समय तक सांसद रही हूं।
मेनका ने कहा कि वरुण ने पीलीभीत का अच्छे से रखा है ख्याल
मेनका गांधी ने कहा कि वरुण ने पीलीभीत का बहुत अच्छा ध्यान रखा है। उन्होंने जिस तरह से वहां काम किया मुझे गर्व है। और मुझे आगे भी पूरी उम्मीद है कि वरुण गांधी आगे जो भी काम करेंगे वो अच्छा ही होगा। आपको बता दें कि जब से पीलीभीत से उनका टिकट भाजपा ने काटा है वरुण गांधी का कुछ पता नहीं है, वे भाजपा के मंच से भी गायब हैं और चुनाव प्रचार से भी दूरी बनाकर रख रहे हैं।
अपने चुनाव कमान को संभाल नें में मैं स्वयं सक्षम- मेनका गांधी
मेनका गांधी ने बीते दिनों भी वरुण गांधी के संदर्भ में बयान देते हुए कहा था कि उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं है और वो आराम कर रहे हैं। वहीं मेनका गांधी के चुनाव प्रचार को लेकर उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं खुद अपने चुनावी कमान के स्वयं संभाल सकती हूं।
ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी ने वरुण गांधी द्वारा पार्टी विरोधी बयानों के कारण पीलीभीत से उनका टिकट काट दिया गया है। भाजपा ने यहां से जितिन प्रसाद को उम्मीदवार के रूप में मैदान पर उतारा है। जब उनका टिकट यहां से कट गया तो वरुण गांधी ने पीलीभीत को अपना परिवार बताया और कहा कि वो यहां के लोगों के लिए काम करते रहेंगे फिर चाहे उन्हें इसकी कोई भी कीमत क्यों न देनी पड़े।