उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में राजभवन, लखनऊ में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश के साथ, प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शोध गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा अनुसंधान की गुणवत्ता एवं उपयोगिता को मजबूत करने हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में इस बात पर विशेष रूप से चर्चा की गई कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में किस प्रकार शोध कार्यों को प्रोत्साहित किया जा सकता है, तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के माध्यम से किन-किन क्षेत्रों में शोधार्थियों को सहयोग एवं संसाधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को निर्देशित किया कि जब कोई विश्वविद्यालय किसी शोध परियोजना का प्रस्ताव प्रस्तुत करता है, तो उसका विधिवत प्रस्तुतीकरण और स्क्रीनिंग होनी चाहिए, उस पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए, जिससे उसकी गुणवत्ता और उपयोगिता का आकलन किया जा सके।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई परियोजना अस्वीकृत की जाती है, तो विश्वविद्यालय को अस्वीकृति का कारण अवश्य बताया जाना चाहिए, ताकि वे आवश्यक सुधार कर परियोजना को पुनः प्रस्तुत कर सकें। परियोजना की संकल्पना से लेकर उसकी स्वीकृति और पूर्णता तक निरंतर संवाद और समीक्षा की प्रक्रिया बनी रहनी चाहिए। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को गंभीरता से संचालित करने पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि यदि पुरानी नीतियाँ शोध एवं विकास की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं, तो उनकी समीक्षा कर नई और व्यावहारिक नीतियाँ बनाई जानी चाहिए, जिससे शोध कार्य में गति और गुणवत्ता दोनों सुनिश्चित हो सके। वर्तमान समय में प्रदूषण, कृषि, जलवायु परिवर्तन, पहाड़ों का क्षरण, भूगर्भीय हलचल, तापमान वृद्धि, भूकंप आदि जैसी समस्याएं हमारे सामने चुनौती के रूप में खड़ी हैं, जिन पर गहन शोध की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों की प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि हमारे विद्यार्थी अत्यंत प्रतिभाशाली एवं उत्तरदायी हैं। उनके शोध-सम्बंधी विचारों और नवाचारों का लाभ देश को मिलना चाहिए। केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न अनुसंधान एजेंसियों के साथ बैठक कर आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए ताकि अच्छे प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया जा सके और पेटेंट कराया जा सके। विद्यार्थियों को शोध के लिए प्रारंभिक स्तर से ही प्रशिक्षित करना आवश्यक है। प्रथम वर्ष से ही विद्यार्थियों को अनुसंधान की दिशा में प्रेरित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं शोध को लेकर गंभीर हैं, इसलिए हमारा दायित्व है कि हम विद्यार्थियों को उचित मार्गदर्शन देकर शोध की दिशा में अग्रसर करें।
राज्यपाल ने यह भी निर्देश दिए कि जब कोई परियोजना प्रस्तुत की जाती है, तो उसकी प्रगति रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध होनी चाहिए, जिससे संबंधित संस्थान समय-समय पर अपनी परियोजना की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकें। सरकार नीतियाँ बनाती है और बजट उपलब्ध कराती है,
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने संस्थानों में नवाचार, अनुसंधान एवं विकास की दिशा में ठोस रणनीति बनाएं और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों को प्राथमिकता दें।
बैठक में प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, अनिल कुमार, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल, डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पंधारी यादव, तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति एवं उनकी टीम, उपस्थित रहे। एचबीटीयू कानपुर के कुलपति एवं टीम तथा मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति एवं उनकी टीम वर्चुअली बैठक से जुड़े।