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Varanasi: डीएवी कॉलेज घोटाले पर बीएचयू छात्रों ने प्रधानमंत्री को लिखा खून से पत्र

वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से संबद्ध डीएवी पीजी कॉलेज एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। कॉलेज प्रबंधन पर संस्थान की संपत्ति का दुरुपयोग, नियुक्तियों में अनियमितता और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इस पूरे प्रकरण ने तब नया मोड़ ले लिया जब बीएचयू के छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से पत्र लिखकर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। यह कदम न केवल छात्रों के गुस्से को दर्शाता है, बल्कि इस बात को भी उजागर करता है कि कॉलेज प्रशासन के खिलाफ छात्रों में भारी असंतोष व्याप्त है।

छात्रों का आरोप है कि डीएवी कॉलेज की कीमती जमीन को कॉलेज प्रशासन द्वारा गलत तरीके से निजी संस्थाओं को लीज पर दिया गया, जिससे सार्वजनिक शैक्षणिक संपत्ति के उपयोग पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसके अलावा, शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक नियुक्तियों में गड़बड़ी की भी बात सामने आई है, जिसमें पारदर्शिता की भारी कमी बताई जा रही है। छात्रों का दावा है कि कॉलेज प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को नियुक्ति दी और योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार किया गया।

इस घटनाक्रम के विरोध में बीएचयू के कई छात्रों ने एकजुट होकर आंदोलन शुरू कर दिया है। आंदोलनकारी छात्रों ने आरोपों को लेकर खून से पत्र लिखा और उसे प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा। पत्र में उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि यदि जल्द ही इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच नहीं कराई गई, तो छात्रवर्ग बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि डीएवी कॉलेज की जमीन और नियुक्तियों से जुड़े इस पूरे घोटाले की सीबीआई या न्यायिक स्तर पर जांच कराई जाए।

मामले की गंभीरता को देखते हुए बीएचयू प्रशासन ने दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति कॉलेज प्रशासन से दस्तावेजों की मांग कर रही है और संबंधित अधिकारियों से पूछताछ कर रही है। समिति को जल्द ही अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपनी है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

इस प्रकरण ने बीएचयू परिसर और पूरे वाराणसी में शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां छात्रों ने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने की कोशिश की है, वहीं दूसरी ओर यह भी दिखाता है कि संस्थानों की संपत्ति का किस तरह दुरुपयोग हो सकता है अगर जवाबदेही सुनिश्चित न हो।

बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से जुड़ा यह मामला अगर सही तरीके से सुलझाया नहीं गया तो इससे छात्रों का संस्थानों पर से भरोसा उठ सकता है। छात्रों की मांग है कि इस जांच को केवल औपचारिकता न बनाकर ठोस परिणामों तक पहुंचाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

यह मामला केवल डीएवी कॉलेज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे उच्च शिक्षा तंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता की जरूरत को रेखांकित करता है। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय, बीएचयू प्रशासन और शिक्षा विभाग इस मामले में किस स्तर तक संज्ञान लेते हैं और छात्रों की आवाज को कितनी गंभीरता से सुना जाता है।

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