1️. हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes) महिलाओं में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के दौरान हार्मोन लगातार बदलते रहते हैं। इन उतार-चढ़ावों से थायराइड ग्रंथि के कामकाज पर सीधा असर पड़ता है।
2️. जेनेटिक कारण (Genetic Factors) अगर परिवार में मां या बहन को थायराइड की समस्या रही है, तो महिला में इसके होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
3️. आयोडीन की कमी (Iodine Deficiency) शरीर में आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि सुचारू रूप से काम नहीं कर पाती, जिससे गॉइटर (घेंघा) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
4️. तनाव (Stress) लगातार तनाव लेने से शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो थायराइड हार्मोन के संतुलन को बिगाड़ देता है और हाइपोथायराइड की समस्या पैदा करता है।
5️. इम्यून सिस्टम का असर (Autoimmune Issues) महिलाओं में इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से हाशिमोटो थायराइडिटिस जैसी स्थितियां हो सकती हैं, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद थायराइड ग्रंथि पर हमला करती है।
थायराइड महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, जेनेटिक फैक्टर, तनाव और आयोडीन की कमी की वजह से अधिक देखा जाता है। संतुलित आहार, तनाव नियंत्रण और नियमित जांच से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।