भगवान विष्णु को सत्यनारायण क्यों कहते हैं?

सत्यनारायण भगवान को वैष्णव परंपरा में भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है।

सत्यनारायण भगवान के रूप में श्री हरी पुष्प पर खड़े हैं और उनके चार हाथ दिख रहे हैं।

जिनमें से दो हाथ कंधे से उठे हुए हैं। उनमें से दाएं हाथ में चक्र है तो बाएं हाथ में शंख दिख रहा है।

सत्यनारायण भगवान के नीचे के दाहिने हाथ में कमल और बाएं हाथ में गदा है।

श्री हरि का यह चतुर्भुज स्वरूप भगवान सत्यनारायण कहलाया जाता है। 

शास्त्रों के अनुसार, सत्यनारायण भगवान दया, ममता, वात्सल्य के प्रतीक माने जाते हैं।

दंड, क्रोध, युद्ध और विनाश के भाव भी सत्यनारायण भगवान में पूर्णत मौजूद है। 

इस रूप में नारायण में आठों भाव समाहित होते हैं जो कि ईश्वर के सत्य स्वरूप हैं।

इसीलिए नारायण के इस रूप के आगे 'सत्य' शब्द जुड़ा और वह सत्यनारायण कहलाए।

यह पोस्ट धार्मिक भावनाओं और धार्मिक क्रियाकलापों  के आधार पर लिखा गया है "यूपी की बात" न्यूज़ चैनल इस जानकारी की पुष्टि और जिम्मेदारी नहीं लेता है। 

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