यहाँ बांके बिहारी का दर्शन कर क्यों रोते हैं भक्त?

वृंदावन के कण-कण में कन्हैया समाहित हैं। इसी वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य और अनोखी परंपराएं हैं। यहाँ कृष्ण साल में केवल एक बार बंसी और मुकुट धारण करते हैं।

बांके बिहारी मंदिर में पूरे साल सिर्फ एक बार मंगला आरती होती है और भक्तों को उनके चरणों के दर्शन होते हैं।

कृष्ण भक्ति में डूबे भक्त बांके बिहारी मंदिर पहुंचकर भाव विभोर हो जाते हैं और भगवान की मूर्ति देखने के बाद रोने लगते हैं।

मंदिर में कृष्ण बाल रूप में स्थापित हैं, जिन्हें देखकर भक्त गहरे प्रेम में डूब जाते हैं और आंखें आंसुओं से भर जाती है।

मान्यता है कि भगवान जब किसी भक्त को भाव विभोर होकर रोते देखते हैं, तो मंदिर छोड़कर उसके साथ चले जाते हैं।

इसी मान्यता से जुड़ी एक कहानी भी सुनाई जाती है कि सिर्फ भक्त ही नहीं, भगवान भी भावुक हो जाते हैं।

एक महिला भगवान के बाल रूप को देखकर वह सोचने लगी कि काश उसके भी बच्चे होते। यही सोचकर वह रोने लगी।

दर्शन के बाद रोते हुए वह घर लौटने लगी तो भगवान भी उसके पीछे-पीछे चलने लगे।

तभी से दर्शन के बीच बार-बार पर्दा लगाया जाने लगा, ताकि ज्यादा देर तक भगवान की आंखों में न देख सकें।

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