क्या आप जानते हैं राम नाम के ये 10 अर्थ?

तैत्तरीय आरण्यक नाम के ग्रंथ में राम शब्द का अर्थ  है पुत्र। इसके श्लोकों में पुत्र को राम कहा गया है। 

ब्राम्हण सहिंताएं कहती हैं "रमन्ते सर्वत्र इति राम:" यानी जो सभी जगह रमा हुआ है वो राम हैं।

संस्कृत व्याकरण और शब्द कोष में "रमंते" का अर्थ है राम, अर्थात् जो सुंदर है, और दर्शनीय है, वो राम है।

मनोज्ञ शब्द को भी राम से जोड़ा जाता है। मनोज्ञ का अर्थ है मन को जानने वाला। जो मन को जानता है वो राम है 

हिंदी व्याकरण में राम के अर्थ का मतलब है आनंद देने वाला, जो संतुष्टि देने वाला हो वो राम हैं।

कुछ विद्वान व्याख्या करते हुए कहते हैं, राम चार भाई थे। जिसमें भरत धर्म के प्रतीक, शत्रुघ्न अर्थ के प्रतीक, लक्ष्मण काम के प्रतीक और राम को मोक्ष का प्रतीक माना गया है।

राम दो अक्षरों और एक मात्रा से मिलकर बना है, र+आ+म। र से रसातल यानी पाताल, आ से आकाश और म से मृत्युलोक या पृथ्वी । अर्थात जो पताल, आकाश और धरती तीनों का स्वामी है, वो राम हैं।

संस्कृत व्याकरण के मुताबिक 'रम्" धातु में 'घञ' प्रत्यय के योग से 'राम' शब्द बनता है। 'रम्' धातु का अर्थ रमण(निवास) करना है। वे प्राणियों के हृदय में 'रमण' (निवास) करते हैं इसलिए राम हैं। भक्त भी उनके मन में 'रमण' करते हैं, इसलिए भी वे राम हैं। 

जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य कहते हैं- "रमन्ते कणे-कणे इति राम:" जो कण-कण में व्याप्त हैं, वे राम हैं।

विष्णुसहस्त्रनाम पर अपने भाव्य में आद्य शंकराचार्य ने कहा है कि नित्यानन्दस्वरूप भगवान में योगिजन रमण करते हैं, इसलिए वे राम हैं।

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