उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के सगड़ी तहसील क्षेत्र अंतर्गत महुला गढ़वल बांध के उत्तरी हिस्से में बहने वाली घाघरा नदी इन दिनों उफान पर है। बढ़ते जलस्तर ने एक बार फिर क्षेत्र की कमज़ोर बुनियादी ढांचे की पोल खोल दी है। बाढ़ के पानी ने बांका बुढनपट्टी समेत आसपास के डेढ़ दर्जन गांवों का संपर्क मार्ग बुरी तरह से बाधित कर दिया है।
हरैया ब्लॉक के ग्राम बांका बुढनपट्टी के सैकड़ों ग्रामीणों ने मंगलवार को घाघरा नदी की शाखा पर उस स्थान पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया, जहां वे वर्षों से पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। खास बात यह रही कि लोग कमर तक पानी में उतरकर हाथों में बैनर लिए “पुल नहीं तो वोट नहीं” के नारे लगाते नज़र आए। इस विरोध प्रदर्शन में महिलाएं, पुरुष, बच्चे सभी शामिल रहे। प्रदर्शन का नेतृत्व ग्राम प्रधान हीरालाल यादव और पूर्व प्रधान कुशहर निषाद ने किया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पिछले पाँच वर्षों से वे पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर साल बाढ़ आने के साथ समस्या और गंभीर होती जा रही है। बच्चों का स्कूल जाना, महिलाओं का आवागमन और रोगियों को अस्पताल ले जाना तक नामुमकिन हो जाता है। बाढ़ के समय यह रास्ता पूरी तरह पानी में डूब जाता है और कई महीनों तक आवाजाही ठप हो जाती है।
ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के समय आते हैं, वादे करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। “निधि नहीं है, कैसे पुल बनेगा” जैसे बहाने वर्षों से सुने जा रहे हैं, लेकिन अब सब्र का बांध टूट गया है। कई बार इस रास्ते पर डूबने से लोगों की जान तक जा चुकी है, बावजूद इसके प्रशासन, शासन और स्थानीय प्रतिनिधियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द इस पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो वे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। लोगों का कहना है कि “जनता से सिर्फ वादे नहीं, समाधान चाहिए।”
ग्रामीणों की मांग है कि सरकार स्थायी समाधान के रूप में इस स्थान पर एक मजबूत पुल का निर्माण करवाए ताकि हर साल बाढ़ के समय लोगों को इस त्रासदी का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही, आपातकालीन परिस्थिति में वैकल्पिक आवागमन की व्यवस्था भी की जाए ताकि स्कूली बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की जिंदगी जोखिम में न पड़े।