वर्ष 2025 के समापन पर उत्तर प्रदेश की नीति-आधारित शासन व्यवस्था ने राज्य को निवेश और औद्योगिक विकास के मजबूत केंद्र के रूप में स्थापित किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अपनाए गए स्पष्ट और उद्देश्यपरक नीति ढांचे के चलते प्रदेश राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक निवेश मानचित्र पर भी अग्रणी राज्यों की कतार में खड़ा दिखाई देता है। वर्ष भर लागू और प्रभावी हुई सेक्टर-विशिष्ट नीतियों का सीधा असर निवेश आकर्षण, रोजगार सृजन और औद्योगिक विस्तार के रूप में सामने आया है।
34 से अधिक नीतियों से मजबूत हुआ औद्योगिक वातावरण
राज्य सरकार ने 2025 में प्रशासनिक निर्णयों को सुव्यवस्थित नीति ढांचे से जोड़ते हुए 34 से अधिक क्षेत्र-विशिष्ट औद्योगिक नीतियों को प्रभावी बनाया। इन नीतियों का उद्देश्य स्पष्ट रहा—निवेशकों को अनुकूल माहौल देना, उद्योगों का विस्तार करना और स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना। नीति-संचालित इस मॉडल ने उत्तर प्रदेश की औद्योगिक साख को नई ऊंचाई दी।
प्रमुख सेक्टरों पर केंद्रित निवेश रणनीति
आईटी/आईटीईएस, डेटा सेंटर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम), रक्षा एवं एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिक व्हीकल, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, पर्यटन, वस्त्र उद्योग और एमएसएमई जैसे क्षेत्रों को विशेष नीति समर्थन दिया गया। इन क्षेत्रों में पूंजी सब्सिडी, 100 प्रतिशत एसजीएसटी प्रतिपूर्ति, स्टाम्प ड्यूटी में छूट और बिजली दरों में रियायत जैसे प्रोत्साहनों ने निवेशकों का भरोसा मजबूत किया।
एफडीआई और फॉर्च्यून-500 कंपनियों के लिए ऐतिहासिक पहल
वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से योगी सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश एफडीआई/एफआईसी, फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एवं फॉर्च्यून इंडिया 500 निवेश प्रोत्साहन नीति-2023’ लागू की। इस नीति के तहत फ्रंट-एंड लैंड सब्सिडी, 100 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी व पंजीकरण शुल्क में छूट, बिजली शुल्क में पूर्ण राहत, कौशल विकास और अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) को प्रोत्साहन जैसे प्रावधान किए गए, जिससे बड़े निवेशकों की भागीदारी बढ़ी।
क्षेत्रीय संतुलन के साथ औद्योगिक विकास
नीतियों में क्षेत्रीय संतुलन को भी विशेष महत्व दिया गया। पश्चिमांचल और मध्यांचल क्षेत्रों में 75 प्रतिशत तक तथा बुंदेलखंड और पूर्वांचल में 80 प्रतिशत तक भूमि सब्सिडी का प्रावधान किया गया। इससे अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों में भी उद्योगों की स्थापना को गति मिली और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।
नई पीढ़ी की नीतियों से भविष्य की तैयारी
वर्ष 2024 में घोषित सेमीकंडक्टर नीति, ग्रीन हाइड्रोजन नीति, उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति, बायो-प्लास्टिक नीति, मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क नीति, एयरोस्पेस एवं रक्षा इकाई नीति और जीसीसी नीति को 2025 में प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया गया। इन दूरदर्शी नीतियों ने राज्य की अर्थव्यवस्था को तकनीक-आधारित और सतत विकास की दिशा में अग्रसर किया।
2025 में निर्यात और विनिर्माण पर विशेष फोकस
वर्ष 2025 में उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर एवं नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025 लागू की गई। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन नीति (2025-2030) और उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025 को मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिली। इन नीतियों का उद्देश्य निवेश बढ़ाना, निर्यात को नई रफ्तार देना और उत्तर प्रदेश को औद्योगिक रूप से देश के अग्रणी राज्यों में स्थापित करना रहा। वर्ष 2025 उत्तर प्रदेश के लिए नीति-आधारित औद्योगिक परिवर्तन का वर्ष साबित हुआ, जहां स्पष्ट विजन और ठोस नीतियों ने विकास, निवेश और रोजगार के नए अध्याय लिखे।

