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UP : PCS-J 2022 घोटाले पर हाईकोर्ट में हलचल

उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिविजन) मुख्य परीक्षा 2022 (यूपी पीसीएस-जे 2022) में कथित अनियमितताओं और उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ के गंभीर आरोपों की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौंप दी है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर की अध्यक्षता में गठित इस आयोग ने आज सीलबंद लिफाफे और सूटकेस में यह विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की।

वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने अधिवक्ता शाश्वत आनंद और अंकुर आजाद के साथ प्राथमिक याचिकाकर्ता श्रवण पांडे का प्रतिनिधित्व किया। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से पेश वकील के अनुरोध पर अदालत ने अगली सुनवाई 9 जुलाई, 2025 के लिए निर्धारित की, जब सीलबंद रिपोर्ट खोले जाने की उम्मीद है।

यह विवाद उस समय भड़का, जब यूपीपीएससी ने मूल्यांकन प्रक्रिया में गंभीर त्रुटि स्वीकार की, जहां उत्तर पुस्तिकाओं के दो बंडलों पर गलत मास्टर कोड चिपका दिए गए थे, जिसके कारण कम से कम 50 अभ्यर्थियों के अंक बदल गए थे।कई उम्मीदवारों ने उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

इन गड़बड़ियों के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति गोविंद माथुर को स्वतंत्र जांच का जिम्मा सौंपा था, ताकि मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। आयोग ने सभी संबंधित पक्षों से साक्ष्य और बयान लेकर जांच की, जिसे अब अदालत के हवाले कर दिया गया है।

इस मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी, जब अदालत आयोग की रिपोर्ट खोलेगी और उसे सार्वजनिक करने या उसके आधार पर कोई निर्देश जारी करने का फैसला लेगी। अदालत ने यूपीपीएससी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक जांच और न्यायिक प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक किसी भी तरह का रिकॉर्ड नष्ट न किया जाए और सभी दस्तावेज सुरक्षित रखे जाएं।यह मामला न्यायिक पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रक्रियागत खामियों के बारे में महत्वपूर्ण चिंताओं को उजागर करता है।

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