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Noida News: 117 करोड़ की गड़बड़ी मामले में SC सख्त, नोएडा के वरिष्ठ अधिकारियों पर गहन जांच की तलवार

नोएडा प्राधिकरण में मुआवजा वितरण में कथित अनियमितताओं का मामला अब और गंभीर होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पिछले 10-15 वर्षों में तैनात रहे वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें सीईओ, एसीईओ और ओएसडी शामिल हैं, की भूमिका की विस्तृत जांच की जाए। यह मामला गेझा, तिलपताबाद, नंगला और भूड़ा गांवों के करीब 117 करोड़ रुपये के मुआवजे से जुड़ी कथित गड़बड़ियों का है, जिसमें अपात्र किसानों को अधिक भुगतान किए जाने की शिकायत सामने आई थी।

“किसानों को न परेशान किया जाए, न सजा दी जाए”-सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि जिन किसानों को अधिक मुआवजा दिया गया था, उन पर किसी भी प्रकार की सजा या दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि-“किसानों को जांच प्रक्रिया के दौरान परेशान नहीं किया जाना चाहिए। यदि भुगतान गलती से हुआ है, तो वे कानूनन सुरक्षा के हकदार हैं।”

किसान पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने अदालत को अवगत कराया था कि किसानों को SIT द्वारा बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। इस पर कोर्ट ने आश्वासन दिया कि किसान पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे और बेवजह की कार्रवाई नहीं होगी।

SIT को मिली पूरी स्वतंत्रता, कोर्ट ने अब तक की कार्रवाई पर जताई संतुष्टि

सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को ही इस मामले में विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया था, जिसका दायरा अब और बढ़ गया है।
कोर्ट ने कहा कि-

कोर्ट का ध्यान इस बात पर है कि आरोप केवल निचले स्तर के कर्मचारियों पर डालकर मामला बंद न किया जाए, बल्कि यह समझा जाए कि इतनी बड़ी वित्तीय गड़बड़ी में उच्च अधिकारियों की भूमिका क्या रही।

फाइल अनुमोदन की प्रक्रिया ने बढ़ाई वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद जांच दायरे में अब प्राधिकरण के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, क्योंकि-

पहले बनी SIT की रिपोर्ट को कोर्ट ने इसलिए स्वीकार नहीं किया था क्योंकि रिपोर्ट ने गड़बड़ी की जिम्मेदारी सिर्फ दो-तीन अधिकारियों पर डाल दी थी, जो कोर्ट को तथ्यात्मक रूप से असंगत लगा।

कई गांवों में अपात्र किसानों को मिला था मुआवजा

जांच में जिन गांवों में अनियमितता सामने आई है, उनमें शामिल हैं-

इन गांवों के कई किसानों को उनके पात्रता मानदंड के विरुद्ध अधिक मुआवजा दे दिया गया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।

सुप्रीम कोर्ट की कठोर टिप्पणियों और नई दिशा-निर्देशों के बाद यह मामला अब एक बड़े प्रशासनिक जांच अभियान में बदल गया है। अदालत का स्पष्ट संदेश यह है कि-

अब निगाहें SIT की विस्तृत रिपोर्ट और प्राधिकरण के वरिष्ठ अफसरों की भूमिका पर होने वाली आगामी कार्रवाई पर टिकी रहेंगी।

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