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Lucknow: “सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी बनेगा जब जनता और पुलिस साथ हों”- डीजीपी राजीव कृष्णा

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) श्री राजीव कृष्णा ने मंगलवार, 11 नवंबर 2025 को कमिश्नरेट आगरा पुलिस द्वारा आयोजित साइबर जागरूकता कार्यशाला का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुभारंभ किया।

इस कार्यशाला में पुलिस कमिश्नर आगरा, जिलाधिकारी, स्कूलों के शिक्षक-छात्र, IMA और S.N. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स, व्यापारी संगठन, टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन, और मीडिया प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम में प्रसिद्ध साइबर विशेषज्ञ रक्षित टंडन ने मुख्य वक्ता के रूप में साइबर सुरक्षा से जुड़े व्यवहारिक पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी।

साइबर सुरक्षा — DGP की प्राथमिकता में शीर्ष पर

पदभार संभालने के बाद डीजीपी राजीव कृष्णा द्वारा निर्धारित 10 प्राथमिकताओं में “साइबर क्राइम नियंत्रण” एक प्रमुख वर्टिकल है। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन गई है।

“कोविड काल के बाद ई-कॉमर्स में 60-70% वृद्धि हुई है, सोशल मीडिया पर युवाओं की सक्रियता भी कई गुना बढ़ी है, ऐसे में साइबर अपराध के खतरे भी तेजी से बढ़ रहे हैं।” — डीजीपी राजीव कृष्णा

समाज पर बढ़ता साइबर अपराध का प्रभाव

डीजीपी ने कहा कि साइबर अपराध का प्रभाव समाज के हर वर्ग पर दिखाई दे रहा है — बच्चे साइबर बुलिंग के शिकार हो रहे हैं। महिलाएं और बालिकाएं साइबर स्टॉकिंग जैसी गंभीर घटनाओं से प्रभावित हो रही हैं। आम नागरिक ऑनलाइन ठगी, फ्रॉड कॉल, हैकिंग जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

‘डिजिटल अरेस्ट’ — नया और खतरनाक साइबर खतरा

उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में “डिजिटल अरेस्ट” नामक साइबर अपराध तेजी से फैल रहा है। इसमें ठग खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को झूठे मामलों में फंसाने और उनसे पैसे वसूलने की कोशिश करते हैं। “कई सभ्रांत नागरिक इस जाल में फंसकर अपनी जीवन भर की कमाई गंवा चुके हैं।”

तीन कारण जिनसे लोग साइबर ठगी के शिकार बनते हैं

डीजीपी ने कहा कि साइबर ठगी के तीन मुख्य कारण हैं —

1. लालच
2. भय
3. लापरवाही

“अगर नागरिक केवल इन तीन बातों पर संयम रखें, तो 80% साइबर अपराधों से बच सकते हैं।”

साइबर अपराध से बचने के तीन जरूरी उपाय

डीजीपी ने नागरिकों को जागरूक करते हुए तीन मुख्य उपाय बताए —

“साइबर फ्रॉड की रिपोर्ट जितनी जल्दी होगी, उतनी जल्दी पैसा ट्रेस कर वापस कराया जा सकता है।”

बच्चों और युवाओं को जागरूक करना जरूरी

डीजीपी ने कहा कि बच्चों और युवाओं में साइबर सजगता बेहद जरूरी है।“सोशल मीडिया आज एक नशे की तरह युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग और डेटा शेयरिंग के खतरों से अवगत कराएं।”

पुलिस अधिकारियों के लिए संदेश — ‘साइबर जांच संभव और सरल है’

डीजीपी ने थानास्तरीय अधिकारियों को संदेश देते हुए कहा — “यह अवधारणा छोड़नी होगी कि साइबर अपराध की जांच नहीं की जा सकती। साइबर इन्वेस्टिगेशन पूर्णतः SOP आधारित और व्यवस्थित है।” उन्होंने बताया कि यदि कोई अधिकारी मन लगाकर इसके 6–7 चरण समझे, तो पाएगा कि यह सामान्य अपराध जांच से भी अधिक सरल और त्वरित है। “पुलिस का आत्मविश्वास और कौशल बढ़ेगा, तभी जनता का भरोसा भी मजबूत होगा।”

साइबर सुरक्षा में नागरिकों की भागीदारी आवश्यक

डीजीपी ने जनता से अपील की कि वे साइबर सुरक्षा में सक्रिय भागीदारी निभाएं —

“सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी बनेगा जब जनता और पुलिस साथ हों।” — डीजीपी राजीव कृष्णा

साइबर सुरक्षा में उत्तर प्रदेश पुलिस की प्रतिबद्धता

डीजीपी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस नागरिक-केंद्रित, पारदर्शी और त्वरित साइबर कानून प्रवर्तन के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। राज्य को साइबर अपराध-मुक्त और साइबर नियंत्रण में अग्रणी बनाने का लक्ष्य तभी संभव है| जब हर नागरिक जागरूक और सहयोगी बने।

आगरा पुलिस की यह साइबर जागरूकता कार्यशाला उत्तर प्रदेश में सुरक्षित डिजिटल समाज के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है। डीजीपी राजीव कृष्णा के नेतृत्व में पुलिस विभाग| टेक्नोलॉजी आधारित अपराध नियंत्रण और नागरिक साझेदारी पर फोकस कर रहा है। डीजीपी राजीव कृष्णा ने किया आगरा में साइबर जागरूकता कार्यशाला का शुभारंभ — बोले, “सुरक्षित डिजिटल यूपी तभी बनेगा जब जनता और पुलिस साथ हों”

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