मुजफ्फरनगर जिले की नगरपालिका परिषद, एमडीए (मुजफ्फरनगर डेवेलपमेंट अथॉरिटी) और जल निगम की बदहाल व्यवस्था एक बार फिर उजागर हो गई है। हल्की बारिश में ही शहर जलमग्न हो जाता है, गलियां और मुख्य सड़कें तालाब और नदी का रूप ले लेती हैं। तस्वीरें विचलित करने वाली हैं लोग फिसलते, गिरते और चोटिल होते नजर आ रहे हैं। निचले इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां बरसात का पानी घरों में घुस गया है।
सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में रामलीला टिल्ला क्षेत्र प्रमुख है, जहां जल निकासी न होने की वजह से सड़कों और गलियों में पानी भरा हुआ है। स्थानीय नागरिकों ने सड़क पर उतरकर जल निकासी की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। हनुमानपुरी, लद्दावाला, बकरा मार्केट और रामपुरी जैसी पिछली कालोनियों के नालों को रामलीला टिल्ला क्षेत्र के नालों से जोड़ दिए जाने के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई है। यहां बारिश के बाद 4 से 5 फीट तक पानी घरों में भर जाता है, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
जनता का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने लोकदल विधायक मिथलेश पाल और कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार का विरोध करते हुए उनका घेराव कर लिया। लोगों ने खुलेआम नाराज़गी जताई कि नेता चुनाव के वक्त तो आते हैं, लेकिन जनता की समस्याओं का समाधान करने में विफल हैं।
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से नाराज लोगों को शांत करने के लिए देर शाम मौके पर कौशल विकास राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल पहुंचे। लेकिन उन्हें भी स्थानीय लोगों की तीखी नाराजगी और सवालों का सामना करना पड़ा। मौके की नाजुकता को देखते हुए राज्य मंत्री ने तत्काल नगरपालिका, एमडीए और जल निगम के अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि ऐसी स्थिति पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने वादा किया कि जल निकासी की समस्या और टूटी सड़कों की मरम्मत जल्द करवाई जाएगी।
जनता के बीच यह सवाल अब भी बना हुआ है कि हर साल बरसात में यही स्थिति क्यों बनती है और क्यों प्रशासन व जनप्रतिनिधि समय रहते जरूरी कार्य नहीं कर पाते।यह घटना स्थानीय शासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करती है और दर्शाती है कि मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में भी बुनियादी नागरिक सुविधाओं की भारी कमी है। जब तक योजनाओं को धरातल पर लागू नहीं किया जाएगा और जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक ऐसी समस्याएं बार-बार जनता को त्रस्त करती रहेंगी।