UP Panchayat Election : उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियाँ तेज़ रफ्तार से चल रही हैं। इसी बीच राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों की सीमाओं का दोबारा निर्धारण किया जाएगा, जिससे चुनाव प्रक्रिया अधिक संतुलित और प्रभावी बन सकेगी
पुनर्गठन और परिसीमन प्रक्रिया
शासन द्वारा जारी विस्तृत कार्यक्रम के मुताबिक, 28 जून से 30 जून के बीच ग्राम पंचायतवार जनसंख्या का निर्धारण किया जाएगा. 1 जुलाई से 3 जुलाई के बीच प्रस्तावित वार्डों की सूची तैयार कर उसका प्रकाशन किया जाएगा. वार्ड निर्धारण को लेकर यदि किसी को आपत्ति है, तो उसे 4 जुलाई से 8 जुलाई के बीच दर्ज कराया जा सकेगा. प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण 9 जुलाई से 11 जुलाई तक किया जाएगा. इसके बाद 12 से 14 जुलाई के बीच अंतिम सूची का प्रकाशन होगा.राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि अंतिम सूची 16 जुलाई तक पंचायतीराज निदेशालय को उपलब्ध कराएं, जिससे आगे की प्रक्रिया समय पर पूरी की जा सके |
किन पंचायतों पर पड़ेगा असर?
पंचायत चुनाव 2021 के बाद कई ग्राम पंचायतें नगर निकायों में शामिल हो गईं, जिससे उनकी जनसंख्या 1000 से कम हो गई है। ऐसे में शहरी क्षेत्र में गई ग्राम पंचायतें हटाई जाएंगी। बचे हुए राजस्व ग्राम नजदीकी पंचायतों में शामिल होंगे।यदि कोई राजस्व ग्राम अकेला रह गया और उसकी जनसंख्या 1000 है, तो उसे नई पंचायत बनाया जा सकता है। आंशिक रूप से प्रभावित ग्राम पंचायतें, जिनकी जनसंख्या 1000 है, वैसी की वैसी बनी रहेंगी।
अब जानते परिसीमन क्या होता है?
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों की तैयारी ने रफ्तार पकड़ ली है. पंचायत चुनाव-2026 से पहले राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया है. 28 जून यानी शनिवार से इस प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत हो रही है. नई नगर पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों के गठन तथा सीमा विस्तार के कारण कई ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन अनिवार्य हो गया है.
कब-कब हुआ परिसीमन
1951 में भारत की जनगणना की गई जिसके बाद 1952 के परिसीमन आयोग अधिनियम के माध्यम से पहला परिसीमन आयोग गठित किया गया। आयोग का काम लोकसभा और राज्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं निर्धारित करना था। तब से इन सीमाओं को तीन बार, 1962, 1972 और 2002 में परिसीमन आयोग अधिनियमों के तहत गठित परिसीमन आयोग द्वारा पुन: निर्धारित किया गया है ।
परिसीमन पर संविधान क्या कहता है?
संविधान का अनुच्छेद 81 “एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य” सिद्धांत को सुनिश्चित करता है।अनुच्छेद 82 के तहत, प्रत्येक जनगणना के बाद संसद को लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुन: परिसीमन करना होता है।परिसीमन की प्रक्रिया को संसद द्वारा बनाए गए विशेष अधिनियमों के तहत किया जाता है।
परिसीमन प्रक्रिया कैसे काम करती है?
सबसे पहले राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक परिसीमन आयोग की नियुक्ति करते हैं । इस आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त या उनके प्रतिनिधि और राज्य चुनाव आयुक्त भी शामिल होते हैं। इसके अलावा, प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के लिए सहयोगी सदस्यों की नियुक्ति की जाती है, जहां परिसीमन होना है। ये सदस्य आम तौर पर लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नियुक्त संसद सदस्य और प्रत्येक विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा नियुक्त विधानसभा के सदस्य होते हैं। आयोग स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। इसकी तैयार की गई संशोधित सीमाओं को चुनौती नहीं दी जा सकती।
एक बार जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो परिसीमन आयोग अपनी सिफारिशें आम करता है और आम जनता, राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों की प्रतिक्रिया आमंत्रित करता है। आधिकारिक राजपत्र में छपने के बाद, आयोग के आदेश अगले चुनाव में प्रभावी होते हैं।
लेखक : प्रिया तिवारी