Site icon UP की बात

Gorakhpur : छठ महापर्व पर उमड़ा जनसैलाब, सुरक्षा और स्वच्छता व्यवस्था में जुटा पूरा प्रशासनिकअमला

पूर्वांचल की आस्था का महापर्व छठ रविवार को पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। सुबह से ही जनपद के घाटों, तालाबों और पोखरों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। व्रती महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और परिवार की सुख-समृद्धि तथा संतान के कल्याण की कामना की।गोरखपुर शहर और ग्रामीण अंचल में कुल 46 मुख्य घाट और 64 अन्य घाटों पर इस वर्ष छठ पर्व का आयोजन किया गया। प्रमुख घाटों में राजघाट, रामघाट, गोरखनाथ घाट, रामगढ़ताल, बेतियाहाता पोखरा, गोलघर पोखरा आदि शामिल रहे। जहां-जहां श्रद्धालु पहुंचे, वहां भक्ति और लोक परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। सूर्यास्त के समय “छठ मईया की जय” और “सूर्य देवता की जय” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा।

सुरक्षा और व्यवस्था में जुटा पूरा प्रशासन
छठ पर्व को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर रहा। एडीजी जोन मुथा अशोक जैन, डीआईजी रेंज एस. चनप्पा, मंडलायुक्त अनिल ढिंगरा, जिलाधिकारी दीपक मीणा, और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राज करन नय्यर ने स्वयं विभिन्न घाटों पर जाकर तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने सुरक्षा, प्रकाश, सफाई और यातायात व्यवस्था का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।एसपी सिटी अभिनव त्यागी, एसपी नॉर्थ जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव, एसपी साउथ जितेन्द्र कुमार, और एसपी अपराध अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार भ्रमणशील रहे। सभी सीओ, थाना प्रभारी और पुलिस बल घाटों पर तैनात रहे।

आपदा प्रबंधन व एनडीआरएफ की सक्रिय निगरानी
इस बार छठ पर्व पर आपदा प्रबंधन विभाग भी पूरी तरह सक्रिय रहा। आपदा प्रबंधन प्रभारी अधिकारी ने एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की टीम के साथ प्रमुख घाटों का निरीक्षण किया।एनडीआरएफ टीम ने राजघाट, रामघाट, गोरखनाथ घाट और रामगढ़ताल पर जल सुरक्षा और बचाव की पूरी तैयारी की थी। जल में उतरने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की गई और टीम ने लाइफ जैकेट, रेस्क्यू बोट और अन्य उपकरणों के साथ निगरानी रखी। साथ ही एआरएफ, पीएसी और सिविल डिफेंस की टीमें भी मुस्तैद रहीं।

डीएम-एसएसपी रहे मैदान में सक्रिय
डीएम दीपक मीणा और एसएसपी राज करन नय्यर दिनभर फील्ड में रहे और घाटों पर सुरक्षा व व्यवस्था की स्थिति का निरीक्षण करते रहे। दोनों अधिकारियों ने बताया कि इस बार श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता रही।

डीएम दीपक मीणा ने कहा कि “छठ पूर्वांचल की आस्था का प्रतीक है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए हर संभव व्यवस्था की है — सफाई, प्रकाश, जल व्यवस्था और यातायात पर विशेष ध्यान रखा गया है।”प्रशासनिक स्तर पर एडीएम प्रशासन, एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह, सीआरओ हिमांशु वर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट उत्कर्ष श्रीवास्तव, एसडीएम सदर दीपक गुप्ता, डिप्टी कलेक्टर ज्ञान प्रताप सिंह, डीपीआरओ निलेश सिंह, और सभी तहसीलदार/नायब तहसीलदारों को उनके क्षेत्रों में जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

स्वच्छता और रोशनी की रही विशेष व्यवस्था
नगर निगम की ओर से इस बार अभूतपूर्व स्तर पर व्यवस्था की गई। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल के निर्देशन में सफाई, पथ प्रकाश, पेयजल और अप्रोच मार्गों को सुचारू करने के लिए नगर निगम की टीमों ने दिन-रात काम किया।घाटों की कुल संख्या: 46 मुख्य + 64 अन्य सफाई कर्मी तैनात: 3200 से अधिक पानी के टैंकर: 110स्ट्रीट / रोड लाइटें: 20,000 से अधिक एप्रोच मार्ग और तालाब निर्माण कार्य: 180 से अधिक स्थानों पर कुल व्यय: लगभग ₹2 से ₹3 करोड़ रुपये इन सभी प्रयासों का नतीजा यह रहा कि घाटों पर सफाई, रोशनी और जल आपूर्ति की व्यवस्था इस वर्ष सबसे बेहतर रही। नगर निगम की टीमें लगातार फील्ड में रहकर मॉनिटरिंग करती रहीं।

गुरु गोरक्षघाट पर ‘Zero Waste Model’ बना उदाहरण
इस बार छठ पर्व में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए गुरु गोरक्षघाट को “Zero Waste Model” के रूप में विकसित किया गया। यहां प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया और कचरे के निस्तारण के लिए सेग्रीगेशन ज़ोन बनाए गए। वेस्ट को रीसायक्लिंग के माध्यम से पुनः उपयोग योग्य बनाया गया, जिससे घाट पर एक भी कचरा अवशेष न रहा। नगर निगम और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से यह प्रयोग बेहद सफल रहा और इसे अन्य घाटों पर भी लागू करने की तैयारी है।

ट्रैफिक व्यवस्था में रही अनुशासन की मिसाल
यातायात प्रभारी राजकुमार पांडेय के नेतृत्व में ट्रैफिक पुलिस ने बेहतर प्रबंधन का उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रमुख मार्गों पर बैरियर लगाकर एकतरफा यातायात सुनिश्चित किया गया और जाम से बचने के लिए वैकल्पिक मार्ग तैयार किए गए। रामगढ़ताल, गोरखनाथ और राजघाट क्षेत्र में श्रद्धालुओं को पैदल आवाजाही में कोई कठिनाई नहीं हुई।

भक्ति और लोक परंपरा का संगम
घाटों पर लोकगीतों की स्वर लहरियों ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। व्रती महिलाओं ने पारंपरिक गीत — “कांचा ही बांस के बहंगीया…” की धुन पर पूजा अर्चना की। दीपों और रंगीन लाइटों से जगमगाते घाटों का दृश्य अद्भुत रहा। रामगढ़ताल पर इस बार विशेष सजावट और लाइटिंग का प्रबंध आकर्षण का केंद्र रहा।

अधिकारियों की सघन निगरानी में सम्पन्न हुआ पर्व
पूरे आयोजन के दौरान मंडलायुक्त अनिल ढिंगरा और एडीजी मुथा अशोक जैन ने नियंत्रण कक्ष से मॉनिटरिंग की। डीआईजी एस. चनप्पा और आपदा प्रभारी अधिकारी एनडीआरएफ टीम के साथ फील्ड में रहकर व्यवस्था की स्थिति का लगातार जायजा लेते रहे। महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिस बल की विशेष तैनाती की गई थी।

श्रद्धालुओं ने जताया संतोष
श्रद्धालुओं ने इस बार की व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया। व्रती रेखा देवी ने कहा “इस बार घाटों पर सफाई और व्यवस्था बहुत अच्छी रही, कहीं कोई असुविधा नहीं हुई।” वहीं राजेश पांडेय ने बताया “ट्रैफिक व्यवस्था बेहद बेहतर रही, प्रशासन का प्रबंधन सराहनीय है।”

आस्था, अनुशासन और प्रशासन का अद्भुत संगम
गोरखपुर के छठ घाटों पर इस वर्ष आस्था, अनुशासन और प्रशासन का सुंदर संगम देखने को मिला। प्रशासन की सतर्कता, नगर निगम की तत्परता और पुलिस की मुस्तैदी ने पर्व को शांतिपूर्ण और भव्य बना दिया।जब हजारों दीपों की रोशनी में व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया, तो पूरा गोरखपुर श्रद्धा और आस्था की ऊर्जा से आलोकित हो उठा। इस बार का छठ पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि स्वच्छता, सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक बन गया।

Exit mobile version