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Loksabha Election 2024: चौपाला नाम से पहले, पहचाने जाने वाले संसदीय सीट मुरादाबाद के बारे में आइए जानते हैं?

Let us know about the parliamentary seat Moradabad, which was earlier known by the name Chaupala

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भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य में मुरादाबाद ज़िला आता है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। मुरादाबाद जिला रामगंगा नदी के किनारे स्थित है और यहां की जलवायु सम व विषम दोनों ही हैं तथा यहां एक नगर पंचायत कांठ भी है। वहीं तहसील व कांठ थाना उत्तर प्रदेश में नंबर एक की श्रेणी में प्रथम नंबर पर आता है।

आपको बता दें कि पूर्व में यह शहर चौपला नाम से जाना जाता था जो हिमालय के तराई और कुमाऊं क्षेत्रों में व्यवसाय और दैनिक जीवन उपयोगी वस्तुओं की प्राप्ति का प्रमुख स्त्रोत रहा पर बाद में इसका वर्तमान नाम 1600 में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के बेटे मुराद के नाम पर रखा गया था।

जिसके चलते इस शहर का नाम मुरादाबाद हो गया। फिर साल 1624 ई. में सम्भल के गर्वनर रुस्तम खान ने मुरादाबाद शहर पर कब्जा कर लिया और इस जगह पर एक किले का निर्माण करवाया। ऐसे में उनके नाम पर इस स्थान का नाम रुस्तम खान पड़ा। इसके पश्चात् मुरादाबाद शहर की स्थापना मुगल शासक शाहजहाँ के पुत्र मुराद बख्श ने दोबारा की थी। अत: उसके नाम पर इस जगह का नाम मुरादाबाद एक बार फिर से हो गया।

मुरादाबाद में क्या मशहूर है?

मुरादाबाद संसदीय शहर पीतल की कारीगरी के काम के लिए विश्व विख्यात है और दुनिया भर में हस्तशिल्प उद्योग में खुद की इसकी एक पहचान है। यहां आधुनिक कारीगरों द्वारा बनाए गए आधुनिक, आकर्षक, और कलात्मक पीतल के बर्तन, गहने और ट्राफियां बनाई जाती हैं। यहां पर कई 100 छोटी और बड़ी दुकानें है जहां तांबा और कांसा की बिक्री होती है।

इन छोटी-छोटी दुकानों से आप तांबा और कांसे से बनी खूबसूरत वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बड़ी दुकानों से बेशकिमती और आकर्षक वस्तुओं को भी आप अपना बना सकते हैं। मुरादाबाद में आपको तांबे के आइटम सभी साइज और आकार में मिल जाएंगे। वहीं उन पर की गई खूबसूरत नक्काशी का काम देखकर आप मुग्ध भी हो सकते हैं।

मुरादाबाद सीट का संसदीय इतिहास

इस सीट पर सबसे पहले सन 1957 में चुनाव हुआ था। उस समय यहां से कांग्रेस के रामशरण, चुनाव में विजयी हुए थे। यहां 2019 में मोदी लहर के बावजूद सपा के डॉ. एसटी हसन ने इस सीट पर जीत कर मैदान को फतेह किया था। फिलहाल इस संसदीय सीट से इन्हें मिली है विजय….

वर्ष——-पार्टी———–जीतने वाले का नाम

1952…….. भाराकां……… राम सरन
1957 ……..भाराकां ………राम सरन
1962 ……….स्वतंत्र………सैयद मुजफ्फर हुसैन
1967 ………जनसंघ……..ओम प्रकाश त्यागी
1971 ………जनसंघ ……….वीरेंद्र अग्रवाल
1977 …..जनता पार्टी……… गुलाम मो. खान
1980….. जनता पार्टी……. गुलाम मोहम्मद खान
1984 ……..भाराकां……… हाफिज मो. सिद्दीक
1989——- जनता—— दल गुलाम मो. खान
1991——– जनता ——दल गुलाम मो. खान
1996 ——–सपा——– शफीकुर्रहमान बर्क
1999 ——–लोकां ——-चंद्र विजय सिंह
2004 ——-सपा——— शफीकुर्रहमान बर्क
2009 ——–भाराकां—— मो. अजहरुद्दीन
2014 ———भाजपा ——कुंवर सर्वेस सिंह
2019——— सपा———- डॉ. एसटी हसन

2019 में कौन जीता

मुरादाबाद लोकसभा सीट से 2019 में, 13 उम्मीदवार यहां से प्रत्याशी थे, लेकिन यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी के निवर्तमान सांसद कुंवर सर्वेश कुमार का कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी और समाजवादी पार्टी के डॉक्टर एसटी हसन के बीच हुआ था। 2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट से सपा के डॉ. एसटी हसन ने बाजी मारी थी, उन्हें इस संसदीय सीट से 6,49,538 वोट प्राप्त हुए थे। जबकि भाजपा के सर्वेश कुमार सिंह 5,51,416 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी 59,198 वोटों के साथ तीसरे पायदान पर रहे थे।

2024 में इस संसदीय सीट के लिए कौन-कौन है उम्मीदवार

डॉ. एसटी हसन के बारे में

डॉ. एसटी हसन(29 जून 1958) का पूरा नाम सैयद तुफैल हसन है। उनका जन्‍म मुरादाबाद में हुआ। इनके पिता का नाम सैयद नासिर हुसैन है और वे जमींदार थे। वह अंग्रेजों के जमाने में अधिकारी भी रहे थे पर उनका राजनीति से दूर-दूर तक संबंध नहीं था। एसटी हसन भी मेयर बनने तक राजनीति से दूर हा रहे। उन्‍हें राजनीति में लाने वाले सपा के कद्दावर नेता आजम खान ही थे। इस बार उन्हें यहां से टिकट नही मिला है।

मुरादाबाद सीट का जातीय समीकरण

मुरादाबाद जिले के जातीय समीकरण को देखा जाए तो 2011 की जनगणना के तहत, जिले की कुल आबादी 4,772,006 थी जिसमें पुरुषों की संख्या 2,503,186 थी तो वहीं महिलाओं की संख्या 2,268,820 थी। धर्म के आधार पर देखा जाए तो यहां हिंदुओं की आबादी 52.14% थी, मुस्लिम बिरादरी की संख्या 47.12% थी। 2011 की जनगणना में मुरादाबाद में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 940 ही रह गई थी।

यहां संसदीय सीट के कई जगहों पर मुस्लिम बिरादरी बेहद मजबूत स्थित में है। इनके अलावा अनुसूचित जाति के जाटव वोटर्स की संख्या भी करीब 1.80 लाख थी जबकि वाल्मीकि वोटर्स की संख्या करीब 43,000 थी। इनके अलावा यहां यादव बिरादरी के वोटर्स भी अहम हैं। इसके साथ 1.50 लाख ठाकुर वोटर्स, 1.49 लाख सैनी वोटर्स के अलावा करीब 74 हजार वैश्य, 71 हजार कश्यप और करीब 5 हजार जाट वोटर्स हैं। साथ ही प्रजापति, पाल, ब्राह्मण, पंजाबी और विश्नोई समाज के वोटर्स की भी अच्छी पकड़ है।

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