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Loksabha Election 2024: रामायाण और महाभारत से जुड़े प्रतापगढ़ के बारे में आइए जानते हैं?

Let us know about Pratapgarh district associated with Ramayana and Mahabharata

Let us know about Pratapgarh district associated with Ramayana and Mahabharata

प्रतापगढ़ की स्थापना वर्ष 1858 में हुई और इसका मुख्यालय बेल्हा प्रतापगढ़ रखा गया है। वहीं प्रतापगढ़ तीर्थराज प्रयाग के निकट पतित पावनी गंगा नदी के किनारे बसा होने के कारण इसे एक एतिहासिक जिला एवं धार्मिक दृष्टि से काफी महत्तवपूर्ण माना गया है और उत्तर प्रदेश का यह जिला रामायण तथा महाभारत के कई महत्तवपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है।

प्रतापगढ़ संसदीय सीट का इतिहास

प्रतापगढ़ ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण सीट है। इसकी प्राचीनता रामायण और महाभारत काल से जोड़ी जाती है। वास्तव में इसका कारण पुरातात्विक व‍िभाग को यहां पर खुदाई के दौरान कई ऐसे साक्ष्य का मिलना है जो उस काल के साक्ष्य को बताते हैं। वहीं इस ज‍िले की पट्टी विधानसभा से ही जवाहरलाल नेहरू ने पदयात्रा करके अपने सि‍यासी सफर की शुरूआत की थी। और फिर देश के पहले प्रधानमंत्री बने। बता दें कि प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश का 72वां जनपद है। इसे बेल्हा देवी मंदिर के कारण बेल्हा माई के नाम से भी जाना जाता है। जो कि सई नदी के क‍िनारे स्थित है। वहीं उत्‍तर प्रदेश की राजनीत‍िक क्षेत्र में इस ज‍िले की पहचान, राजा भैया, राजकुमारी रत्ना सिंह के साथ ही प्रमोद तिवारी के कारण जाना जाता है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में सई नदी के बीच प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र की पहचान आंवला, प्रो.वासुदेव सिंह, मुनीश्वरदत्त उपाध्याय, राजा दिनेश सिंह, प्रमोद तिवारी, रघुराज प्रताप सिंह से भी होती है। यहां से 1977 में भारतीय लोकदल से रूपनाथ सिंह यादव, साल 1991 में जनता दल से राजा अभय प्रताप सिंह, 1998 में भाजपा से डॉ.राम विलास वेदांती, 2004 में सपा से अक्षय प्रताप सिंह, 2014 में अपना दल के हरिवंश सिंह को छोड़कर कांग्रेस इस सीट पर आसीन रहा है। पर 2019 में इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता चुनाव जीतकर सीट पर काबिज हुए। उद्योगविहीन जिले में कृषि ही मुख्य साधन है।

इस संसदीय क्षेत्र में कुल 7 विधानसभाएं हैं। रामपुर खास, विश्वनाथगंज, प्रतापगढ़ सदर, पट्टी, रानीगंज शामिल है। 2011 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 73.1 है। आंवला किसानों की बदहाली, बेकाबू अपराध, उद्योग धंधों का अभाव हर चुनाव में मुद्दा बनता है।

प्रतापगढ़ की खास बातें

प्रतापगढ़ लोकसभा से पहले सांसद मुनीश्‍वर दत्‍त उपाध्‍याय बने थे। वहीं वर्तमान में यहां से सांसद कुंवर हरिवंश सिंह, अपना दल से हैं। स्‍वामी करपात्री, जगदगुरु कृपालू महाराज यहीं से हैं। प्रतापगढ़ लोकसभा के अंतर्गत रानीगंज, रामपुर खास, विश्‍वनाथ गंज, पट्टी और खुद प्रतापगढ़ क्षेत्र आते हैं। प्रतापगढ़ पहले इलाहाबाद का हिस्‍सा हुआ करता था। यहां बेलादेवी का मंदिर, भक्तिधाम, घूमेश्‍वर नाथ धाम, शनिदेव मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं।

प्रतापगढ़ 2019 में लोकसभा का विजेता

प्रतापगढ़ से 2019 में हुए आम चुनाव में भाजपा के नेता संगम लाल गुप्ता ने बाजी मारी थी। इन्हें इस लोकसभा में 436,291 वोट मिले जो कि कुल वोटों का 48.34 फीसद है। वहीं बीएसपी के अशोक त्रिपाठी दूसरे नंबर पर 318,539 वोटों के साथ और 35.29 फीसद वोट रहे। जबकि तीसरे नंबर पर कांग्रेस के प्रत्याशी राजकुमारी रत्न सिंह 77,096 व 8.54 फीसद के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।

संगम लाल गुप्ता के बारे में जानकारी

संगम लाल गुप्ता (जन्म 1 अप्रैल 1971) उत्तर प्रदेश के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह 2019 में प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से लोकसभा के लिए भाजपा सदस्य के रूप में चुने गए। [1] इससे पहले, उन्हें 2017 में अपना दल (सोनेलाल) के सदस्य के रूप में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा का सदस्य चुना गया था। मार्च 2021 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया।

लोकसभा चुनाव 2024 में इस सीट से खड़े हो रहे हैं ये प्रत्यासी

प्रतापगढ़ में सबसे ज्यादा रहा कांग्रेस का राज

लोकसभा सीट प्रतापगढ़ पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं, जिसमें सबसे अधिक सत्ता कांग्रेस के हाथ रही। कांग्रेस ने 10 बार सीट पर जीत दर्ज की है। भाजपा को दो बार सफलता मिली है। इसके अलावा सपा अपना दल एस, बीएलडी और जेडी को भी भी एक-एक बार मौका मिला है। जिले की आबादी की बात करें तो यहां 85 प्रतिशत हिंदू और 14 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं की है। 2014 में यहां 8,85,358 वोटरों ने मतदान किया था। इसमें 4,54,891 पुरुष और 4,37,808 महिला वोटर भी शामिल रही। प्रतापगढ़ में पहले चुनाव 1951 में हुआ था।

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