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Loksabha Election 2024: 2008 में परिसीमन के बाद बने संसदीय सीट नगीना के बारे में आइए जानते हैं?

Let us know about Nagina, the parliamentary seat created after delimitation in 2008

Let us know about Nagina, the parliamentary seat created after delimitation in 2008

नगीना संसदीय सीट, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बिजनौर ज़िले में स्थित एक नगर है। ब्रिटिश शासनकाल में “नगीना ” लखनहाई मुस्लिम से संबंधित नवाबों के स्वामित्व वाला एक नगर था। ब्रिटिश शासन में “नगीना ” का 1909 से 1919 तक यूपी विधायी परिषद को पुरानी और युवा दल द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया था।

2011 की जनगणना के मुताबिक, नगीना की आबादी 20,672 थी। जिसमें पुरुषों की आबादी 53% और महिलाओं की संख्या 47% है। नगीना की औसत साक्षरता दर 48% है, जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से कम है: यहां पुरुष साक्षरता 57% है और महिला साक्षरता 38% है। आपको बता दें कि नगीना में, आबादी का 17% जनसंख्या 6 वर्ष से कम आयु की हैं।

आइना-ए-अकबरी में शहर का उल्लेख नगीना महल (बारा महल) के मुख्यालय के रूप में हुआ है जो वर्तमान में मोहल्ला-सैयदवाड़ा नगीना या परगना में है। ये ब्रिटिश काल के दौरान, संयुक्त प्रांत में नगीना तहसील और बिजनौर जिले का मुख्यालय बना रहा; और 1817-1824 तक, यह नवगठित उत्तरी मुरादाबाद जिले का मुख्यालय था। फिर 1901 में, नगीना तहसील में 464 गाँव और दो कस्बे जुड़े थे। जिसकी आबादी 21,412 थी, और अफ़ज़लगढ़, जिसकी आबादी 6,474 थी।

नगीना क्यों फेमस है

नगीना सीट का संसदीय इतिहास

वर्ष 2008 में बिजनौर से अलग होकर यह सीट अस्तित्व में आई थी। इस सीट की खास बात ये है कि यहां के वोटर हर बार पार्टी और सांसद बदल देते हैं। पहली बार वर्ष 2009 में हुए चुनाव में इस सीट पर सपा को जीत मिली थी और सपा के यशवीर सिंह पहले सांसद बने थे। हालांकि इसके बाद वर्ष 2014 में बीजेपी के यशवंत सिंह बाजी मारते हुए मैदान मार लिया। जबकि वर्ष 2019 में बसपा के गिरीश चंद्र ने यहां से इलेक्शन जीता।

वर्ष 2014 में जीते यशवंत सिंह एक दलित नेता हैं, और पेशे से डॉक्टर हैं। सांसद बनने से पहले वह दो बार विधायक पद पर भी रह चुके हैं और मायावती की सरकार के दौरान सन् 2007 में वह राज्यमंत्री भी रहे चुके हैं। हालांकि, उन्होंने तब ज्यादा सुर्खियों बटोरी थी, जब उन्होंने अपनी ही सरकार से दलितों के लिए आरक्षण बिल पास कराने की मांग की थी। इस क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की पांच सीटें आती हैं, जिनमें धामपुर, नहटौर, नूरपुर, नजीबाबाद व नगीना सीट शामिल हैं।

जातीय समीकरण

यह संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम लोगों की है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटर्स की संख्या कुल आबादी में से 70.53% है, तो वहीं यहां पर हिंदू लोगों की संख्या 29.06% है। यहां करीब 21 फीसदी एससी वोटर्स भी रहते हैं। इस सीट पर 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर्स के होने की चलते यहां पर इनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

2019 का जनादेश

2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बसपा के गिरीश चंद्र ने बीजेपी को पटकनी देते हुए 5,68,378 वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं बीजेपी के यशवंत सिंह 4,01,546 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस की ओमवती देवी 20,046 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।

2014 का जनादेश

2014 में भाजपा ने यहां से यशवंत सिंह को मैदान में उतारा और उन्होंने सपा के पूर्व सांसद यशवीर सिंह को हरा दिया। बीजेपी के यशवंत सिंह को कुल 39 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। उन्हें चुनाव में 3,67,825 वोट यानी 39 फीसदी वोट प्राप्त हुए, जबकि समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह को 2,75,435 (29.2%) वोट और बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चंद्रा को 2,45,685 (26.1%) वोट प्राप्त हुए थे।

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गिरीश चंद्र के बारे में

गिरीश चंद्र मूलरूप से जिला मुरादाबाद के मझौली देहात के गांव खुशहालपुर के रहने वाले हैं और इन्हें बसपा प्रमुख मायावती का करीबी माना जाता है। 15 जनवरी 1964 को जन्मे गिरीश चंद्र ने बरेली के हरीशचंद्र महाविद्यालय से बीए किया। गिरीश चन्‍द्र एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश की नगीना से लोकसभा सांसद भी बने। वे भारत के उत्तर प्रदेश की पंद्रहवी विधानसभा में विधायक पद को भी संभाला। 2007 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के चन्‍दौसी(अ0जा0) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बसपा से टिकट लेकर राजनीतिक अखाड़े में कूद पड़े|

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