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Hamirpur: हमीरपुर में खुलेआम अवैध खनन, कानून व्यवस्था का बुरा हाल

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में मौरम खनन माफियाओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। जिले में अवैध खनन और ओवरलोड ट्रकों पर रोक के लिए सरकार के तमाम आदेशों के बावजूद, नियमों की धज्जियां खुलेआम उड़ रही हैं। सैकड़ों ट्रक बिना नंबर प्लेट के धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिससे सड़कें बदहाल हो गई हैं और वातावरण में धूल का गुबार फैला हुआ है।

सपा सांसद का आरोप: प्रशासन की मिलीभगत

सपा सांसद अर्जेंद्र सिंह लोधी ने प्रशासन पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा है कि खनन माफिया बेखौफ होकर नियमानुसार कार्रवाई से बच रहे हैं। उनका कहना है कि खनिज और परिवहन विभाग की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी अवैध गतिविधियां संभव नहीं। इसी मिलीभगत के चलते माफिया अब नदी की धाराओं में पुल बना रहे हैं, जिससे ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही और आसान हो जाए। यह एनजीटी और जिलाधिकारी के आदेशों की सीधी अवहेलना है।

खनन माफियाओं के आगे प्रशासन मौन

चिकासी क्षेत्र के चंदवारी–घुरौली खंड में खुलेआम चल रहे खनन का असर गांवों की आबोहवा और यातायात पर स्पष्ट दिख रहा है। एआरटीओ ऑफिस के ठीक सामने से रोजाना ओवरलोड ट्रकों की परेड निकल रही है, लेकिन अधिकारी चुप हैं। नेशनल हाईवे पर अवैध ट्रकों की भीड़ से ट्रैफिक अस्त-व्यस्त है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी है।

कार्रवाई केवल कागजों पर, हकीकत अलग

प्रशासन बार-बार कार्रवाई के दावे करता है, लेकिन यही सवाल अब भी बना हुआ है—ओवरलोड ट्रकों को अनुमति कौन दे रहा है? क्या वाकई प्रशासन माफियाओं के दबाव में है, या फिर यह सब मिलीभगत का खेल है? स्थानीय लोगों का मानना है कि बिना प्रशासनिक समर्थन के इतना बड़ा अवैध कारोबार संभव नहीं।

आगे क्या होगा?

हमीरपुर से ये रिपोर्ट प्रशासन की कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। खनिज और परिवहन विभाग की कार्रवाई के दावे जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते। अब देखना होगा कि प्रशासन इन माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाता है या फिर मामला इसी तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

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