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Aligarh : राज्यपाल की अध्यक्षता में महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का दूसरा दीक्षांत समारोह हुआ सम्पन्न

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ का दूसरा दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को उपाधियाँ एवं पदक प्रदान कर सम्मानित किया एवं सभी उपाधियों एवं अंक प्रमाण पत्रों को डिजिलॉकर में समाहित किया। दीक्षांत समारोह में 17 पदक स्नातक स्तर पर तथा 30 पदक परास्नातक स्तर पर प्रदान किए गए।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत केवल उपाधि प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाने का संकल्प लेने का अवसर है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग समाज की बेहतरी और राष्ट्र निर्माण में करें।दीक्षांत समारोह के अवसर पर, राज्यपाल की प्रेरणा से आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में जनपद अलीगढ़ के पुलिस परिवार की 09 से 14 वर्ष आयु की 300 बालिकाओं को एचपीवी वैक्सीन लगाई गई। यह पहल बालिकाओं के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव संभव हो सकेगा। इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि यह अभियान सभी जनपदों में चलाया जा रहा है। इस तरह के टीकाकरण अभियान का सभी को समर्थन करना चाहिए, ताकि देश की हर बेटी सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे बालिकाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा पर ध्यान दें।

इसके साथ ही, राज्यपाल ने आंगनबाड़ी केन्द्रों के सशक्तिकरण के उद्देश्य से 500 आंगनबाड़ी संसाधन किटों का वितरण किया। इनमें से 200 संसाधन किट जनपद अलीगढ़ एवं 300 संसाधन किट जनपद हाथरस के आंगनबाड़ी केंद्रों को प्रदान गये। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गावों के चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों को भी सम्मानित किया और उनके योगदान की सराहना की। राज्यपाल जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यत्रियों के माध्यम से समाज के सबसे निचले स्तर तक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचती हैं, अतः उनका सशक्तिकरण देश के भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने बताया कि जनसहयोग से अब तक लगभग 50,000 आंगनबाड़ी केन्द्रों तक संसाधन किटें पहुंचाई जा चुकी हैं, जिनमें 22 प्रकार की शैक्षणिक एवं रचनात्मक सामग्री शामिल है। राज्यपाल जी ने कहा कि समाज सहयोग के लिए तत्पर है, बस उसे सही दिशा दिखाने की आवश्यकता है तभी प्रदेश समृद्ध और आत्मनिर्भर बनेगा।

विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांवों में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों ने विभिन्न रचनात्मक गतिविधियाँ प्रस्तुत की। कार्यक्रम में भाषण प्रतियोगिता के विजेता छात्र ने प्रभावशाली प्रस्तुति दी। विद्यालय के छोटे बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण विषय पर नाट्य प्रस्तुति देकर उपस्थित जनसमूह को प्रभावित किया। राज्यपाल ने गोद लिए ग्राम में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया और उन्हें निरंतर रचनात्मक कार्यों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।इस अवसर पर राज्यपाल ने बच्चों की रचनात्मक गतिविधियों पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक भवन एवं अतिथि गृह का शिलान्यास भी किया। उन्होंने राजभवन की ओर से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के उपयोगार्थ पुस्तकें भेंट कीं, साथ ही जनपद अलीगढ़ एवं जनपद हाथरस के जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को भी राजभवन की पुस्तकें भेंट कीं।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल जी ने विद्यार्थियों की कक्षा में उपस्थिति को अनिवार्य बताते हुए कहा कि यदि किसी छात्र की 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति होगी तो उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि प्रदेश को आगे बढ़ाना है तो यह सुनिश्चित करना होगा कि विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षा में उपस्थित रहें।राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों से लेकर विश्वविद्यालयों तक का भ्रमण किया है और पाया है कि विद्यार्थियों में अपार प्रतिभा है, उन्हें केवल उचित दिशा और अवसर देने की आवश्यकता है। गुरु-शिष्य परंपरा को पुनः स्थापित करने के लिए शिक्षक और छात्र दोनों की उपस्थिति आवश्यक है। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि आपके माता-पिता आपके लिए बहुत परिश्रम करते हैं, अतः कक्षा में उपस्थित रहकर मन लगाकर पढ़ाई करें, यही उनके प्रति सच्चा सम्मान है।

राज्यपाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू हुए हैं, जो प्रदेश के उच्च शिक्षा स्तर को नई दिशा देंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया कि वह आईआईटी रुड़की के साथ एमओयू करे, जिससे विद्यार्थियों को शोध एवं तकनीकी क्षेत्रों में लाभ प्राप्त हो सके।राज्यपाल ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय, के ऑपरेशन सिंदूर में किए गए उल्लेखनीय योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय देश की सुरक्षा एवं रणनीतिक अध्ययन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। ऐसे संस्थान यह प्रमाणित करते हैं कि यदि शिक्षा को व्यवहारिक अनुसंधान और नवाचार से जोड़ा जाए, तो वह राष्ट्र निर्माण की दिशा में असाधारण परिणाम दे सकती है।

राज्यपाल ने आगे कहा कि इसरो देश का गौरव है, जहाँ निरंतर नये शोध, प्रयोग और नवाचार हो रहे हैं, जिन्होंने भारत को विश्व मंच पर वैज्ञानिक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के लिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय भी शोधोन्मुख शिक्षा को अपनाएं, विद्यार्थियों में नवाचार की भावना विकसित करें। अनुसंधान के लिए पर्याप्त अवसर एवं निधि उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग देशहित में करें, ताकि भारत आत्मनिर्भर और नवाचारशील राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ सके।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि उससे संबद्ध सभी महाविद्यालयों में प्रायोगिक परीक्षाएं समय से आयोजित की जाएं तथा परिणाम समय पर घोषित किए जाएं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के हित में विश्वविद्यालयों को समयबद्ध शैक्षणिक कैलेंडर का पालन करना चाहिए।राज्यपाल ने बताया कि राजभवन की पहल पर सभी विश्वविद्यालयों को समर्थ पोर्टल से जोड़ा गया है। राजभवन में विश्वविद्यालयों को प्रशिक्षित किया गया और अब सभी विश्वविद्यालय इस पोर्टल का सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं, जिससे वित्तीय बचत के साथ-साथ विद्यार्थियों को सीधा लाभ मिल रहा है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी भूमि का ले आउट बनाकर योजनाबद्ध ढंग से विकास कार्य करे तथा परिसर में एक लाख से अधिक पौधों का रोपण कर हरित एवं स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करें।

उन्होंने बताया कि राजभवन की टीम विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करती है, जिसमें छात्रावास, रसोईघर, पुस्तकालय एवं प्रयोगशालाओं का निरीक्षण शामिल है। पाई गई कमियों को शीघ्र दूर करने के निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिए गए। राज्यपाल ने जनप्रतिनिधियों से भी विश्वविद्यालय के विकास में सक्रिय सहयोग देने का आह्वान किया।राज्यपाल ने विश्वविद्यालय कैंपस को नशा-मुक्त बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने सभी छात्राओं से आह्वान किया कि वे आत्मनिर्भर बनें, दूसरों की बातों में न आएं और नशा एवं असामाजिक गतिविधियों से दूर रहें। अनेक बालिकाएं और उनके बच्चे कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे स्वयं बालगृहों में जाकर बेटियों से मिली हैं और उनकी तकलीफों को निकट से समझा है। उन्होंने कहा कि ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है। इससे पारिवारिक मूल्य और सामाजिक मर्यादाएँ प्रभावित होती हैं तथा अनेक बार बेटियों का जीवन भी संकट में पड़ जाता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे ऐसे निर्णय भावनाओं में बहकर न लें, बल्कि अपने माता-पिता की अनुमति और मार्गदर्शन में ही जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय करें। अभिभावकों को संबोधित करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि बेटियों से अधिक बेटों पर निगरानी रखें। यदि आपका बेटा देर से घर आता है, तो उससे अवश्य पूछें कि वह कहां था और क्या कर रहा था।

राज्यपाल  ने कहा कि शिक्षा का सही अर्थ यह है कि आप अपने जीवन को अच्छा बनाएं, अनुशासन में रहें और अपराध से दूर रहें। उन्होंने बताया कि जब वे जेल भ्रमण पर जाती हैं, तो विद्यार्थियों को भी साथ ले जाती हैं ताकि वे कैदियों के अनुभवों से सीख ले सकें और जीवन में सही मार्ग चुन सकें। उन्होंने ने कहा कि देश को अपराधमुक्त और समृद्ध बनाने के लिए युवाओं को आगे आना होगा।कार्यक्रम में निदेशक आईआईटी रुड़की प्रो कमल किशोर पंत को डी.लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। अपने उद्बोधन में प्रोफेसर पंत ने नवीकरणीय ऊर्जा की उपयोगिता, ई-कचरा प्रबंधन तथा वेस्ट मैनेजमेंट के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ जोड़कर विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएँ समाज के लिए आदर्श मॉडल बनें, स्वदेशी अपनाएँ और लोकल फॉर वोकल की भावना को आगे बढ़ाएँ।उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि बेटियाँ देश की दिशा और दशा बदलने की सामर्थ्य रखती हैं। उन्होंने राज्यपाल महोदया द्वारा लिखित पुस्तक “चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं” की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पुस्तक हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है, और विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के सपने को अपना सपना बनाएं।

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