उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्योगिक विकास और कनेक्टिविटी को नई गति देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र के 16 गांवों से 740 एकड़ जमीन खरीद कर गंगा लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएगा। यह एक्सप्रेसवे सीधे नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को गंगा एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा।
प्रदेश सरकार ने हाल ही में पेश अनुपूरक बजट में इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए 1246 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्य में तेजी आएगी।
74 किलोमीटर लंबा होगा नया गंगा लिंक एक्सप्रेसवे
प्रस्तावित गंगा लिंक एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 74 किलोमीटर होगी, जिसमें से करीब 21 किलोमीटर हिस्सा यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में आएगा।
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इस हिस्से में लगभग 9 किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाई जाएगी।
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यमुना सिटी के सेक्टर एरिया में 24 मीटर चौड़ी सर्विस रोड का भी निर्माण होगा।
यह लिंक एक्सप्रेसवे बुलंदशहर के स्याना से शुरू होकर यमुना सिटी में प्रस्तावित फिल्म सिटी के पास यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा।
अगले महीने से शुरू होगा भूमि अधिग्रहण
यमुना अथॉरिटी अपने क्षेत्र में अगले महीने से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके तहत 16 गांवों की 740 एकड़ जमीन खरीदी जाएगी, ताकि परियोजना को तय समयसीमा में आगे बढ़ाया जा सके।
यूपीडा करेगा निर्माण, निवेश और लॉजिस्टिक्स को मिलेगा लाभ
इस ग्रीनफील्ड, प्रवेश-नियंत्रित एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस कॉरिडोर से माल परिवहन, निर्यात, औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला, यात्री आवागमन को निर्बाध गति मिलेगी। इससे प्रदेश में निवेश आकर्षण, रोजगार सृजन और औद्योगिक क्लस्टर्स के विकास को मजबूती मिलेगी।
हेल्थ सेक्टर को भी सौगात, 9 करोड़ रुपये का प्रावधान
अनुपूरक बजट में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के स्वास्थ्य सेक्टर को भी बड़ी राहत दी गई है।
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नोएडा स्थित चाइल्ड पीजीआई नोएडा के लिए 2 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
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ग्रेटर नोएडा में चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना और गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज मेडिकल कॉलेज के उन्नयन के लिए 7 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
प्रदेश के विकास को मिलेगा नया कॉरिडोर
गंगा लिंक एक्सप्रेसवे को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ने की यह परियोजना उत्तर प्रदेश को लॉजिस्टिक्स, औद्योगिक निवेश और वैश्विक कनेक्टिविटी के मानचित्र पर और मजबूत करने वाली मानी जा रही है। सरकार के अनुसार, यह कॉरिडोर आने वाले वर्षों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास की रीढ़ बनेगा।

