उत्तर प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर विवादित विषय बन गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि विद्युत वितरण निगम उपभोक्ताओं की सहमति के बिना उनके घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं, जो असांविधानिक है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को इस मुद्दे को लेकर विद्युत नियामक आयोग में विधिक प्रस्ताव दाखिल किया। उन्होंने आयोग से आग्रह किया है कि बिना अनुमति के उपभोक्ताओं के परिसरों में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगाई जाए और इसकी अनिवार्यता पर पुनर्विचार किया जाए।
विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर चुनने का विकल्प देती है। साथ ही अधिनियम की धारा 55(1) और 177(2) सी के अंतर्गत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को मीटर स्थापना और संचालन संबंधी नियम बनाने का अधिकार है। हालांकि ये नियम अधिनियम के मूल प्रावधानों के अनुरूप होने चाहिए, जो दोनों प्रकार के मीटरों को मान्यता देते हैं। परिषद का कहना है कि उपभोक्ताओं की सहमति के बिना मीटर लगाना उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
इसी बीच, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन द्वारा मुंबई में आयोजित होने वाले डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 में देशभर के डिस्कॉम को निजीकरण की दिशा में अग्रसर किया जाएगा। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि यह मीट इंडियन स्मार्ट ग्रिड फोरम के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है, जो एक निजी संस्था है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल इस संस्था के महामंत्री हैं और वे स्वयं प्रदेश के निजीकरण प्रोजेक्ट में शामिल हैं।