लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय कलाकारों के साथ मृदंग बजाकर जनजातीय भागीदारी उत्सव का शुभारंभ किया। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित यह विशाल उत्सव 13 से 18 नवंबर तक चलेगा, जिसमें देशभर से आए जनजातीय समुदायों की कला, संस्कृति और जीवनशैली प्रदर्शित की जाएगी।
100 से अधिक स्टॉल, जनजातीय कला–संस्कृति का अनोखा संगम
उत्सव में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और समाज कल्याण विभाग द्वारा लगाए गए स्टॉल आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ प्रदर्शित किया जा रहा है—
- जनजातीय व्यंजन
- पारंपरिक हस्तशिल्प
- लोक पेंटिंग
- आदिवासी आभूषण
- घर सजावट सामग्री
- पारंपरिक वाद्ययंत्र और हर्बल उत्पाद
कुल 100 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जहाँ देशभर के आदिवासी समुदाय अपनी परंपरागत कलाओं को सामने ला रहे हैं।
22 राज्यों के कलाकार हुए शामिल — योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनजातीय समुदायों की कला और सांस्कृतिक विरासत देश की धरोहर है| उन्होंने बताया कि इस उत्सव में — अरुणाचल प्रदेश पार्टनर स्टेट है, जबकि बिहार, झारखंड, गुजरात, असम, त्रिपुरा, उत्तराखंड सहित 22 राज्यों के कलाकार सहभागिता कर रहे हैं। योगी ने कहा कि यह आयोजन जनजातीय कलाकारों के हुनर को सम्मान देने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम है।
हस्तशिल्प और व्यंजन मेला—लोगों की भीड़ उमड़ी
उत्सव में हस्तशिल्प प्रदर्शन और व्यंजन मेला लोगों को विशेष रूप से आकर्षित कर रहा है। यहाँ आगंतुकों को जनजातीय समुदायों के पारंपरिक भोजन और देसी स्वाद का आनंद लेने का मौका मिल रहा है। साथ ही जनजातीय साहित्यिक एवं विकास मंच भी बनाया गया है, जहाँ विभिन्न राज्य के कलाकार अपनी परंपरा और जीवनशैली से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे।
योगी बोले—जनजाति समुदाय को अपनी विरासत पर गर्व हो
सीएम योगी ने कहा कि पूरे देश में 1 से 15 नवंबर तक ‘जनजाति पखवाड़ा’ मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है- जनजातीय समुदाय को अपनी संस्कृति पर गौरव महसूस कराना उनकी परंपराओं को मुख्यधारा में स्थान देना… कला, संस्कृति और रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराना| योगी ने कहा कि यह उत्सव देश की विविधता को एक मंच पर लेकर आता है और आदिवासी समाज की शौर्य, संस्कृति और परंपरा को नई पहचान देता है।
जनजातीय कलाकारों का शानदार प्रदर्शन
उत्सव के उद्घाटन के बाद जनजातीय कलाकारों ने- मृदंग, ढोल, जनजातीय नृत्य, लोकगीत की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन प्रदर्शन में विभिन्न जनजातियों की अनूठी परंपराएं और सांस्कृतिक प्रतीक झलकते हैं।

