उत्तर प्रदेश सरकार ने पेंशन लाभ को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अपर मुख्य सचिव वित्त दीपक कुमार ने हाल ही में एक शासनादेश जारी कर कहा कि किसी भी कर्मचारी की अस्थायी, वर्क चार्ज या दैनिक वेतन से जुड़ी सेवा अवधि पेंशन गणना में शामिल नहीं की जाएगी। यह आदेश उप्र. पेंशन हकदारी तथा विधिमान्यकरण अध्यादेश 2025 के तहत लागू होगा।
अस्थायी प्रकृति की नौकरी करने वाले कई कर्मचारी लंबे समय से पेंशन लाभ में अपनी अस्थायी सेवा को जोड़ने की मांग कर रहे थे। कुछ मामलों में अदालत भी कर्मचारियों के पक्ष में आदेश देती रही है। इन विवादों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने स्पष्ट रूप से नीति तय की है कि केवल नियमित सेवा अवधि ही पेंशन लाभ के लिए मान्य होगी।
शासनादेश में यह भी निर्देश दिया गया है कि जिन कर्मचारियों की नियुक्ति किसी सरकारी नियमावली के अंतर्गत नहीं हुई या जिनका विनियमितीकरण नहीं हुआ, उनके मामले में अदालत में चल रही याचिकाओं का निपटारा विधायी अधिसूचना के अनुसार किया जाएगा।
सरकार का यह कदम पेंशन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और विवादों को कम करने की दिशा में अहम माना जा रहा है। इस अध्यादेश को आगामी विधानमंडल सत्र में प्रस्तुत कर अधिनियम का रूप दिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में पेंशन लाभ केवल कर्मचारियों की नियमित सेवा अवधि के आधार पर ही निर्धारित होगा।