उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 के चुनाव को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा गरीब महिलाओं को सालाना 40,000 रुपये देने के वादे के बाद बीजेपी नेताओं ने इसे अव्यावहारिक बताया है। वहीं ‘कोडिन भैया’ वाले बयान पर नाराज़ पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अखिलेश पर मानहानि का केस करने की चेतावनी दी है।
अखिलेश के 40,000 रुपये वाले वादे पर बीजेपी का हमला
बाराबंकी में घोषणा करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर गरीब महिलाओं को हर साल 40,000 रुपये दिए जाएंगे। इस घोषणा पर बीजेपी मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने पलटवार करते हुए कहा-
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“महिलाएँ अखिलेश यादव के वादों पर भरोसा नहीं करतीं।”
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“सपा सिर्फ़ चुनाव आने पर हवा-हवाई घोषणाएँ करती है।”
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी भी 2027 से पहले महिलाओं के लिए एक बड़ी DBT योजना ला सकती है ताकि महिला वोटरों को साधा जा सके।
‘कोडिन भैया’ बयान पर धनंजय सिंह की तीखी प्रतिक्रिया
जौनपुर में एक सभा के दौरान अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए धनंजय सिंह से जुड़ी एक फोटो दिखाते हुए ‘कोडिन भैया का राज’ कहा था। यह तंज कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध सप्लाई से जुड़े मामले पर था।
इस पर धनंजय सिंह ने जवाब देते हुए कहा-
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“अमित सिंह टाटा मेरा छोटा भाई जैसा है। वह ब्लॉक प्रमुखी का चुनाव लड़ता है और जनप्रतिनिधि है।”
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“आलोक सिंह से बचपन से परिचय है। क्या फोटो खिंचवाते समय वे वॉन्टेड थे?”
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“कोई व्यक्ति अपराध करे तो उससे मिलने वाला दोषी नहीं हो जाता।”
धनंजय ने कहा कि अखिलेश जातिगत राजनीति कर रहे हैं और “एंटी-ठाकुर” छवि बनाने की कोशिश में उनका नाम घसीट रहे हैं।
‘मानहानि का केस करूंगा, माफी मंगवाऊंगा’ – धनंजय सिंह
पूर्व सांसद ने यह भी बताया कि वे इस मामले को कानूनी रूप से आगे बढ़ाने का मन बना चुके हैं। उन्होंने कहा- “मैं अखिलेश यादव पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कराऊंगा और उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मंगवाऊंगा।” धनंजय ने कहा कि सपा प्रमुख जानबूझकर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की राजनीति कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषण: चुनावी जंग में ‘महिला वोट’ और ‘ठाकुर समीकरण’ पर नजर
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2027 का चुनाव महिला वोटरों और युवा वर्ग पर केंद्रित रहेगा। सपा महिला सशक्तिकरण की नई रणनीति अपना रही है, जबकि बीजेपी कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा को जोरदार तरीके से पेश कर रही है। इसके साथ ही पूर्वांचल में ठाकुर मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और इसीलिए धनंजय सिंह से जुड़े सियासी विवाद को लेकर राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है।

