उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के अगेहरा गांव की रहने वाली पूजा पाल ने सीमित संसाधनों के बावजूद विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि हासिल कर देश का नाम रोशन किया है। पूजा को उनके वैज्ञानिक नवाचार और प्रयोगों के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया।
सीमित संसाधन, लेकिन ऊंचे सपने
पूजा पाल की सफलता की कहानी संघर्ष और आत्मविश्वास की मिसाल है। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी पूजा ने बिजली और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में भी पढ़ाई जारी रखी। वह छप्परनुमा घर में दीये की रोशनी में पढ़कर अपने सपनों को साकार करती रहीं। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उनकी वैज्ञानिक सोच और सीखने की ललक कभी कमजोर नहीं पड़ी।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व
पूजा पाल ने अपने नवाचारों के दम पर जापान में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय विज्ञान मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। वहां उन्होंने अपने प्रयोगों और विचारों से वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिभा का परिचय दिया और भारत को सम्मान दिलाया।
ग्रामीण बेटियों के लिए बनी प्रेरणा
पूजा की कहानी खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह साबित करती है कि मजबूत इरादे, मेहनत और लगन के साथ किसी भी कठिन परिस्थिति को पार किया जा सकता है। पूजा पाल की उपलब्धि न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र और देश के लिए गर्व की बात है।
संघर्ष से सफलता तक का संदेश
पूजा पाल की उपलब्धि यह संदेश देती है कि सुविधाओं की कमी कभी भी प्रतिभा की राह में बाधा नहीं बन सकती। सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास के साथ ग्रामीण प्रतिभाएं भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकती हैं।

