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Agra: कीठम झील में मछलियों की मौत, जांच के लिए लखनऊ से आ रही स्पेशल फिशरीज की टीम

Agra: Death of fish in Keetham lake, special fisheries team coming from Lucknow for investigation

Agra: Death of fish in Keetham lake, special fisheries team coming from Lucknow for investigation

कीठम झील में मछलियों की मौत की जांच के संबंध में लखनऊ से रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज की टीम दो दिन में आगरा पहुँच गई है। वहीं रिपोर्ट आने के बाद वन विभाग नीरी के साथ मिलकर कीठम में साफ पानी की सप्लाई के लिए प्रोजेक्ट बनाएगा। आपको बता दें कि दो दिन पहले कीठम झील में सैंकड़ों मछलियां गंदे और दूषित पानी के कारण मरी अवस्था में मिली।

वन विभाग ने बताया कि झीलों में आगरा नगर और लोअर लेक साइड सिंचाई विभाग के दो सैल्यूस गेट लगे हैं। जो कि लगभग 20 दिन पहले टूट गए थे। सिंचाई विभाग को इस संबंध में आगाह कर दिया गया था, लेकिन गेटों की मरम्मत पर किसी का ध्यान नहीं गया।

वन विभाग ने क्या किया

वन विभाग ने प्रारंभिक तौर पर सैंड बैग्स डालकर पानी को रोकने के अस्थायी इंतजाम किए थे लेकिन पानी का रिसाव होता रहा।

झाग से भरी थी झील

डीएफओ आरुषि मिश्रा ने बताया कि यमुना से आने वाला पानी इतना ज्यादा प्रदूषित था कि झील के लंबे इलाके में सिर्फ झाग और धुंआ ही भरा हुआ था। फिलहाल उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी का सैंपल लेकर गए हैं। इस टीम ने जिस स्थान पर मछलियां मरीं थीं वहां के पानी के साथ-साथ कई अन्य स्थानों से भी पानी का सैंपल जांच के लिए लिया है।

बोर्ड को यह आशंका है कि पानी में हैवी मेटल्स की मात्रा के वृद्धि होने के चलते मछलियाों की मृत्यु हुई है। परंतु वन विभाग इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं लग रहा है। ऐसे में सोमवार यानी आज टीम दोबारा सैंपल लेने के लिए यहां पहुंची है। जिसकी रिपोर्ट तीन दिन बाद आने की संभावना है।

पुरानी है यह समस्या

डीएफओ ने बताया कि यह समस्या पुरानी है। हर साल यही होता है, जिससे भारी मात्रा में मछलियां मौत का शिकार हो जाती हैं। जिसकी जिम्मेदारी झील में पानी के स्तर को बनाए रखना और गंदा पानी ना आए इस बात को ध्यान रखने का काम सिंचाई विभाग का है परंतु ये विभाग अपने काम का सही से निर्वहन, नहीं करते हुए दिख रहा है। बता दें कि झील में 18 फीट पानी चाहिए होता है। ऐसी योजना बनाई गई थी कि आधा फीट ऊपर का गंदा पानी हटाया जाए और साफ पानी लाया जाए पर जमीनी स्तर पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

12 मार्च को सुप्रीम में सुनवाई

अब 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में यमुना को लेकर होने वाली हियरिंग पर संबंधित विभागों की नजर है। अभी पानी को ज्यादा छोड़ा नहीं जा सकता क्योंकि अभी इन झीलों में बर्ड्स भी बहुत आई हुई हैं। जिसको लेकर यह योजना है कि मार्च और अप्रैल तक जब यहाँ से बर्ड्स चली जाएंगी तो नीरी के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को तैयार करने का काम शुरू कर हो जाएगा।

वन विभाग ऐसी रिपोर्ट तैयार करने में प्रयासरत है जिसके आधार पर उसे सरकार से फंडिंग मिल जाए। जिसके लिए नगर निगम से एसटीपी बनाने की भी बात चल रही है। यदि ये सफल हुआ तो पानी को साफ करने में आर्थिक मदद हो जाएगी।

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