राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली का 23वाँ दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के 1,15,596 विद्यार्थियों को उपाधियाँ एवं पदक प्रदान किए तथा उपाधियों एवं पदकों को डिजीलॉकर में समाहित किया।
आंगनबाड़ी केंद्रों के सशक्तिकरण हेतु पहल
समारोह के दौरान राज्यपाल ने 500 आंगनबाड़ी केंद्रों (जनपद बरेली के लिए 200 तथा जनपद बदायूं के लिए 300) के सशक्तिकरण हेतु आंगनबाड़ी किट एवं स्वास्थ्य किट का वितरण किया। उन्होंने कहा कि इन किटों के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायता मिलेगी।
ज्ञान, साधना और शौर्य की भूमि
राज्यपाल ने सभी विद्यार्थी, शोधार्थी, अभिभावक, शिक्षकगण और विश्वविद्यालय परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि जनपद बरेली की पावन भूमि ज्ञान, साधना और शौर्य का परम्परागत संगम रही है। जैन परंपरा के प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों से लेकर सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की रणभूमियों तक यह क्षेत्र भारत की स्वाधीनता और संस्कृति के उत्थान में अमिट भूमिका निभाता आया है। उन्होंने इस भूमि के महान विभूतियों को सादर नमन किया।
महिला शिक्षा और अनुसंधान में प्रगति
राज्यपाल ने उल्लेख किया कि वर्ष 2025 में आयोजित लगभग 36 दीक्षांत समारोहों में उन्होंने देखा है कि छात्राएँ शिक्षा तथा अनुसंधान दोनों क्षेत्रों में लगातार नई ऊँचाइयाँ छू रही हैं। शिक्षा के प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में समान अवसर, प्रोत्साहन और संसाधन उच्चतम प्राथमिकता हो, तभी समाज का संतुलित विकास संभव है।
‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ की सराहना
विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ की गई ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ पर राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस सम्मान के प्रथम प्राप्तकर्ता, पूर्व छात्र व झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार का चयन सराहनीय है। यह व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि उन मूल्य प्रणालियों का अभिनंदन है जो राष्ट्रसेवा, निष्ठा और निरंतरता का प्रतीक हैं।
मुख्य अतिथि प्रो. राजीव आहूजा का स्वागत
राज्यपाल ने समारोह में उपस्थित मुख्य अतिथि आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहूजा का सम्मानपूर्वक परिचय देते हुए उनकी वैज्ञानिक एवं शैक्षणिक उपलब्धियों की प्रशंसा की तथा प्रो. आहूजा के योगदान और उनके विचारों को विद्यार्थी-शोधार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
शिक्षा का उद्देश्य और जीवन दर्शन
राज्यपाल ने कहा कि जीवन एक सतत् सीखने की यात्रा है और शिक्षा केवल ज्ञान तक सीमित नहीं बल्कि विचार, अनुभव और व्यवहार की साधना है। अर्जित ज्ञान का उपयोग समाज के कल्याण, मानवता के उत्थान और राष्ट्रनिर्माण में होना चाहिए। विद्यार्थियों को बड़े सपने देखने, सशक्त संकल्प लेने और कर्म को अपना धर्म मानने का आह्वान किया गया।
अनुसंधान और नवाचार पर बल
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को अनुसंधान-केंद्रित संस्थान के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि नवीन विचारों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए तथा अन्य शैक्षणिक व अनुसंधान संस्थानों के साथ संयुक्त कार्यक्रम प्रारम्भ किए जाएँ ताकि ज्ञान का प्रवाह सीमाओं से परे मानवता के हित में हो।
आतंकवाद और शिक्षा का उद्देश्य
राज्यपाल ने दिल्ली में हुए आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए चिंता जताई कि आतंकवादी प्रवृत्ति में पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हो रहे हैं। इसलिए समाज व शैक्षणिक संस्थानों को सभी गतिविधियों पर दृष्टि रखनी होगी। शिक्षा का उद्देश्य है कि वह व्यक्ति को संवेदनशील, समर्पित और कर्तव्यनिष्ठ बनाए, न कि हिंसा या अन्याय की ओर प्रेरित करे।
राष्ट्रभक्ति और वंदे मातरम की प्रेरणा
राज्यपाल ने वंदे मातरम और राष्ट्रभक्ति के ऐतिहासिक संदर्भ का स्मरण कराते हुए कहा कि हमारे महापुरुषों के कृतित्व हमें राष्ट्रभक्ति, कर्तव्यबोध तथा संस्कार की शिक्षा देते हैं। विद्यार्थियों को उन ग्रंथों एवं इतिहास से सीख लेकर राष्ट्र के प्रति समर्पित रहने का संदेश दिया।
विद्यार्थियों की प्रतिभा की सराहना
दीक्षांत समारोह के अवसर पर प्रभावशाली भाषण देने वाले स्कूली विद्यार्थी की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जाति या आर्थिक पृष्ठभूमि से परे गुणवत्ता को पहचानना चाहिए। मार्गदर्शकों, माता-पिता का अभिनंदन किया और कहा कि ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
शिक्षा व्यवस्था में दक्षता और अनुशासन पर बल
राज्यपाल ने शिक्षा क्षेत्र में त्वरित कार्यवाही और सकारात्मक सोच पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भवन तैयार होते ही केवल भौतिक संरचना पर्याप्त नहीं, फर्नीचर, अध्यापक व अन्य सुविधाएँ समय पर उपलब्ध कराना आवश्यक है। उन्होंने व्यवस्था में देरी घटाने, तेजी से निर्णय लेने और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने की प्रेरणा दी। साथ ही विश्वविद्यालयों में अनुशासन, परीक्षा प्रक्रियाओं में समुचित उपस्थिति और समयबद्धता का महत्व रेखांकित किया।
सफलता के मार्ग पर परिश्रम और सत्यनिष्ठा
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि सफलता के मार्ग पर संकल्प, परिश्रम और सत्यनिष्ठा ही सर्वोच्च पूँजी हैं। उन्होंने अनुशासन, माता-पिता व गुरुजनों के प्रति कृतज्ञता और स्व-प्रभुता का संदेश दिया और कहा कि छात्रों को अपने कार्य स्वयं करना चाहिए।
समाज सुधार और नैतिक शिक्षा का महत्व
राज्यपाल ने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे दहेज, महिला-विरोधी हिंसा आदि पर चिंता व्यक्त की तथा कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो संवेदनशीलता और नैतिकता दे, न कि हिंसा को जन्म दे। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे समाज के इन विकृत रुझानों से लड़कर बदलाव लाएँ। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध और संवेदनशीलता का विकास है।
पर्यावरण संरक्षण और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान
राज्यपाल ने कहा कि जब विश्व पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा है, तब भारत ने प्रकृति संरक्षण की दिशा में वैश्विक नेतृत्व का परिचय दिया है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान केवल वृक्षारोपण का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह मातृत्व के प्रति कृतज्ञता और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व का संदेश देता है।
स्वच्छ भारत मिशन और पर्यावरणीय संतुलन
राज्यपाल ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता को जन-जन का राष्ट्र प्रेम बना दिया है। जल संरक्षण, वृक्षारोपण मिशन और नदियों के पुनरुद्धार के माध्यम से भारत ने यह सिद्ध किया है कि आधुनिक विकास तभी सार्थक है जब वह प्रकृति के साथ संतुलित रहे।
वैश्विक नेतृत्व और “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर”
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण अब एक जन आंदोलन बन चुका है। भारत “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” की भावना के साथ पूरी दुनिया को जोड़ रहा है, जहाँ ऊर्जा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था तीनों एकता के सूत्र में पिरोए गए हैं।
प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व
राज्यपाल ने कहा कि प्रकृति हमारे अस्तित्व की आधारशिला है, यदि हम उसका सम्मान करेंगे तो वह हमें समृद्धि देगी, और यदि उसका दोहन करेंगे तो वह हमें चेतावनी भी देगी। “मैं पृथ्वी का रक्षक हूँ, उपभोक्ता नहीं” का नारा देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल और हरित जीवन देना ही सच्चा राष्ट्रधर्म और सर्वोच्च मानव कर्म है।
विज्ञान, नवाचार और युवा शक्ति का युग
राज्यपाल ने कहा कि 21वीं सदी भारत के नवोन्मेष, विज्ञान और युवा शक्ति की सदी है। आज भारत चाँद पर तिरंगा फहरा रहा है और मंगल की कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम चंद्रयान और मंगलयान जैसी उपलब्धियों से इतिहास रच रहा है। इन सफलताओं के पीछे भारत के युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका है।
महिला वैज्ञानिकों की भूमिका और नवाचार
राज्यपाल ने उल्लेख किया कि आज भारतीय महिला वैज्ञानिकों की भूमिका अत्यंत प्रशंसनीय है। प्रत्येक वर्ष पाँच हजार से अधिक पेटेंट्स महिलाएँ दर्ज करा रही हैं। यह केवल आँकड़ा नहीं, बल्कि नए भारत की चेतना का प्रतीक है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब भारत का युवा अंतरिक्ष तक पहुँच सकता है।
अटल टिंकरिंग लैब्स और युवा रचनात्मकता
राज्यपाल ने कहा कि देशभर में स्थापित 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स में एक करोड़ से अधिक बच्चे अपनी रचनात्मकता को प्रयोगों में ढाल रहे हैं, और अब इनकी संख्या बढ़ाकर 25,000 की जा रही है ताकि हर बच्चा अनुभव कर सके कि विज्ञान उसकी पहुँच में है और भविष्य उसके हाथों में।
भारत तकनीकी निर्माता के रूप में
राज्यपाल ने कहा कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि विश्व का तकनीकी निर्माता बन चुका है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने बताया कि “इंडिया एआई मिशन” में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है और अगले वर्ष भारत ग्लोबल एआई समिट की मेजबानी करेगा।
‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष का उत्सव
राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने का ऐतिहासिक अवसर देश को प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस स्मरणोत्सव का उद्घाटन राष्ट्र की उस चेतना को पुनर्जीवित करता है, जब यह गीत स्वतंत्रता का उद्घोष बन गया था।
विश्वविद्यालयों की वैश्विक उपलब्धियाँ
राज्यपाल ने कहा कि यह अत्यंत गर्व का विषय है कि क्यू.एस. वर्ल्ड रैंकिंग में उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली ने भी क्यू.एस. एशिया रैंकिंग में 901-950 तथा दक्षिण एशिया रैंकिंग में 297वाँ स्थान प्राप्त किया है।
प्रेरणादायक उपलब्धियाँ और शिक्षा का विस्तार
राज्यपाल ने कहा कि यह गौरव का क्षण केवल संस्थानों का नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की बौद्धिक और सांस्कृतिक चेतना का उत्सव है। आज हमारे राज्य विश्वविद्यालय ज्ञान, अनुसंधान और नवप्रवर्तन के वैश्विक केंद्र बन रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि वे सदैव अनुशासन और सत्यनिष्ठा के मार्ग पर चलें, अपने माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करें।

